
भारत सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि भारत के प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में शामिल होने से राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रमों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने सवालों के जवाब में कहा कि भारत की एमटीसीआर में सदस्यता से भारतीय उद्योगों को विदेशी संस्थाओं से उच्च प्रौद्योगिकी संबंधी कारोबार करने तथा भारत के अंतरिक्ष एवं रक्षा कार्यक्रमों के लिये उच्च प्रौद्योगिकी युक्त सामग्री उपलब्ध हो सकेगी।
भारत राजनीतिक कारणों से नहीं करेगा चीन का विरोध
चीन द्वारा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता का विरोध करने के जवाब में भारत द्वारा एमटीसीआर में चीन की सदस्यता का विरोध करने या उसके साथ सौदेबाजी करने से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत इस प्रकार की सौदेबाजी नहीं करता है और न ही किसी देश का राजनीतिक कारणों से विरोध करेगा। चीन के आवेदन पर समूह के गुण दोषों के आधार पर विचार होगा।
भारत के एमटीसीआर में शामिल होने की पृष्ठभूमि का उल्लेख
– भारत ने 1994 में व्यापक विनाश के हथियारों के अंतरराष्ट्रीय अप्रसार प्रयासों में योगदान के उद्देश्य से एमटीसीआर के साथ संपर्क स्थापित किए थे।
– जुलाई 2005 में भारत ने एमटीसीआर के दिशा निर्देशों और नियंत्रण सूची के अनुपालन करने की घोषणा की थी।
– सितंबर 2008 में उसके अनुपालन को औपचारिक रूप से स्वीकार करने की सूचना दी थी।
– नवंबर 2010 में भारत ने एमटीसीआर सहित सभी निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में शामिल होने की इच्छा का इजहार किया था।
– भारत ने इसके सदस्य सभी 34 देशों के साथ संपर्क बढ़ाया और जून 2015 में सदस्यता का आवेदन किया। भारत को इस वर्ष 27 जून को इस समूह में सदस्यता मिल गयी।
निर्यात नियंत्रण नीति के फ्रेमवर्क को संशोधित करने का आधार मिलेगा
प्रवक्ता ने कहा कि इस व्यवस्था में शामिल होने के बाद ऐसा नहीं होगा कि भारत को एमटीसीआर के सदस्य देशों द्वारा कोई तरजीह मिलने लगेगी, पर इससे भारत को निर्यात नियंत्रण नीति के फ्रेमवर्क को संशोधित करने का आधार मिल सकेगा। उल्लेखनीय है कि भारत को अमेरिका से एमटीसीआर के अनुपालन का तमगा मिलने के बाद भारतीय अंतरिक्ष एवं रक्षा अनुसंधान प्रयोगशालाओं को प्रतिबंधित संस्थाओं की सूची से बाहर किया जा सका था।
भारत के सुरक्षा कार्यक्रमों में नहीं आएगी बाधा
प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि एमटीसीआर से भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रमों में कोई बाधा नहीं आएगी। एमटीसीआर में शामिल होने से पहले भारत के इस समूह के अनेक सदस्यों के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में औपचारिक सहयोग रहा है। इस समूह का हिस्सा बनने के बाद भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अंतरिक्ष अनुप्रयोग के आपूर्तिकर्ता के रूप में बड़ी भूमिका निभा सकेगा।