अन्तर्राष्ट्रीय

भारत ने US में कहा, अफगानिस्तान में बंदूकों की आवाज शांत करने की जरूरत

भारत ने तालिबान के साथ शांति वार्ता शुरू करने के अफगानिस्तान सरकार के हालिया कदम का समर्थन किया है और कहा है कि युद्धग्रस्त देश में “शांति के विरोधियों की आवाज” को शांत करने की जरूरत है. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने 28 फरवरी को हुए दूसरे काबुल प्रोसेस कॉन्फ्रेंस में शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए तालिबान का आह्वान किया था. उन्होंने कहा था“ देश को बचाने” के लिए यह जरूरी है. इसके बदले में उन्होंने वार्ता में शामिल होने वाले चरमपंथियों को सुरक्षा मुहैया कराने और पासपोर्ट संबंधी अन्य प्रोत्साहन देने की पेशकश भी की. गनी ने कहा कि संघर्षविराम पर सहमति बननी चाहिए और तालिबान को एक राजनीतिक समूह घोषित किया जाना चाहिए.भारत ने US में कहा, अफगानिस्तान में बंदूकों की आवाज शांत करने की जरूरत

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने अफगानिस्तान पर एक खुली चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् को बताया, “अफगानिस्तान सरकार, शांति बहाल करने की इच्छा इस तथ्य के बावजूद जता रही है कि हथियारबंद समूहों ने खुद को और हम सबको दिखाया है कि वह सरकार के परस्पर विरोधी हैं.”

उन्होंने गुरुवार (8 मार्च) को कहा, “हथियारबंद संगठनों का हिंसा पर विराम लगाने और महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों समेत सभी नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण करने वाली राष्ट्रीय शांति और सुलह प्रक्रिया में शामिल होने का आह्वान करने के अफगानिस्तान सरकार के प्रयासों को पूरा समर्थन देना उचित है.”

हालांकि अकबरुद्दीन ने कहा कि हथियारबंद विरोधियों को यह स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए कि हिंसा जारी रखने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, “किसी भी तरह की हिंसा को ठोस जवाब देने की जरूरत है. शांति का विरोध करने वाली बंदूकों को शांत करना होगा.”

वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने शुक्रवार (9 मार्च) को तहरीक- ए- तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के प्रमुख मौलाना फजलुल्लाह की सूचना देने पर 50 लाख डॉलर ईनाम देने की घोषणा की. सूचना के आधार पर फजलुल्लाह की गिरफ्तारी होने पर यह ईनामी राशि दी जाएगी. तहरीक- ए- तालिबान पाकिस्तान एक आतंकवादी संगठन है जो पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी हमलों को अंजाम देता है. न्याय के एवज में इनाम कार्यक्रम के तहत अमेरिका ने जमात- उल- अहरार के अब्दुल वली और लश्कर- ए- इस्लाम केनेत मंगल बाग की सूचना देने के लिए भी 30-30 लाख डॉलर देने की घोषणा की. जमात- उल- अहरार वह आतंकी संगठन है जो टीटीपी से अलग हो गया है, जबकि लश्कर- ए- इस्लाम पाकिस्तान के खैबर ट्राइबल एजेंसी में है और उसके आस- पास के इलाकों में सक्रिय है.

पाकिस्तान की विदेश सचिव तहमीना जंजुआ के व्हाइट हाउस तथा विदेश मंत्रालय समेत ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठकें करने के बाद यह घोषणा की गई. विदेश मंत्रालय ने कहा कि टीटीपी पूर्वी अफगानिस्तान के जनजातीय इलाकों में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन है. इसके अल- कायदा से नजदीकी रिश्ते रहे हैं. नवंबर 2013 में  टीटीपी के केंद्रीय शूरा काउंसिलद्वारा नियुक्त किए जाने के बाद से फजलुल्लाह ने पाकिस्तानी हितों के खिलाफ कई हमले करवाए और अमेरिका पर समूह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने के खुलेआम आरोप लगाए.

 
 
 

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