नोएडा । भारत में पेड़-पौधों के रूप में अद्भुत औषधियों का खजाना संसाधन के रूप में उपलब्ध है। इस अद्भुत प्राकृतिक खजाने का बेहतर उपयोग नई औषधियों के विकास में किया जा सकता है। यह बात लोबनिज इंस्टीट्यूट ऑफ कैटेलिसिस यूनिवर्सिटी ऑफ रॉसटोक जर्मनी के विभागध्यक्ष प्रो. पीटर लांगर ने कही। वह एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा आयोजित मेडिसिनल केमिस्ट्री पर व्याख्यान दे रहे थे। प्रो. लांगर ने कहा कि वैज्ञानिकों को केवल 1० या 15 साल पहले प्राकृतिक इंडिगो कैंसर में इलाज के बारे में पता चला। शोध में इंडिरूबिन के चार प्रकार के कैंसर सेल जो कि ब्लाडर इसोफिगल तथा बे्रस्ट में होते है का परीक्षण किया गया। उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों ने पिछले 1० सालों में इतने उत्कृष्ट व नवीन शोध किए हैं कि उन्होंने यूरोप के वैज्ञानिकों को भी पीछे छोड़ दिया है।
प्रो. लांगर ने कहा कि वह चाहते हैं कि यूनिवर्सिटी ऑफ रॉसटोक और एमिटी विश्वविद्यालय के मध्य निकट भविष्य में गठबंधन हो। यह गठबंधन केवल शोधपत्र या छात्रों के पारंपरिक मेलजोल तक ही सीमित न हो बल्कि विज्ञान से आगे जाकर भारत व जर्मनी के बेीच सेतु का काम भी करे जिसमें दोनों देश मिलकर विश्व को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर सकें।