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भारत में आईएस का कभी वर्चस्व नहीं हो सकता, यहां के पारिवारिक मूल्य बहुत मजबूत

rajnath-singh_650x400_71448709823लखनऊ: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि भारत में पारिवारिक और जीवन मूल्यों के प्रति संकल्प रखने वाले लोगों की जमात है और इसके रहते आईएस समेत किसी भी आतंकवादी संगठन का हिन्दुस्तान में वर्चस्व नहीं हो सकता।

राजनाथ सिंह ने मौलाना आजाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘तालीम की ताकत’ में कहा, दुनिया में आजकल आईएस की खूब चर्चा हो रही है। मैं अखबारों में पढ़ता हूं कि आईएस ने यह कर दिया, वह कर दिया। सीरिया में हमले हो रहे हैं, तमाम चीजें हो रही हैं, लेकिन गृह मंत्री होने के नाते मैं कहना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान दुनिया का अकेला मुल्क है कि अगर कहीं कोई बच्चा सिरफिरा हो रहा होता है, उसे रोकने का काम अगर कोई करता है तो हिन्दुस्तान के मुस्लिम लोग ही करते हैं। इस्लाम को मानने वाले करते हैं।

उन्होंने कहा, आपको आश्चर्य होगा कि मुंबई का एक मुस्लिम लड़का कट्टरपंथ में फंस गया था। उसके मां-पिता मेरे पास आए और कहा कि मेरे बच्चे को बचा लीजिए, वह सीरिया जाना चाहता है। मैंने उनको गले लगा लिया कि हिन्दुस्तान के लोग ऐसे हैं। राजनाथ ने कहा, दुनिया इस संकट (आईएस) से जूझ रही है, लेकिन हमारे यहां जीवन मूल्य (लाइफ वैल्यूज) ऐसे हैं, दुनिया के बाकी जगह आईएस का भय और संकट हो सकता है, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे यहां लाइफ वैल्यूज के प्रति संकल्प रखने वाले लोगों की जमात है, उसके रहते आईएस का वर्चस्व भारत में किसी भी सूरत में नहीं हो सकता। यह मैं डंके की चोट पर कहता हूं।

गृह मंत्री ने कहा, हजारों की संख्या में इमामों ने आईएस के खिलाफ जुलूस निकाला। यह भारत की तहजीब का ही करिश्मा है। इसी तहजीब को बचाकर रखने की जिम्मेदारी हमारी और आपकी है। मैं यकीनन कहता हूं कि अगर भारत की संस्कृति को हमने बचाकर रखा तो उसे दुनिया का सबसे बलवान, धनवान और ज्ञानवान देश बनने से कोई ताकत नहीं रोक सकती।

उन्होंने कहा कि केवल भारत नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में आतंकवाद, अलगाववाद और माओवाद की बात हो रही है, लेकिन इससे निजात केवल तालीम नहीं दिला सकती। अक्षर का ज्ञान पर्याप्त नहीं है। मूल्यों के प्रति संकल्प जरूरी है। अगर मूल्य ही नहीं होंगे तो इन संकटों निजात नहीं मिल सकती। ऊंची डिग्री रखने वाले नौजवान ऐसी गतिविधियों में लगे हैं। उनकी सोच का अंतर है जिससे ये हालात पैदा हुए हैं।

राजनाथ ने कहा कि ब्रितानी लोगों ने यह कहने की कोशिश की थी कि भारत सिफर है, लेकिन शून्य का आविष्कार तो भारत में ही हुआ। भारत ने गणित, चिकित्सा तथा खगोलविज्ञान के क्षेत्र में दुनिया को बहुत कुछ दिया है। ऑक्सफोर्ड और हार्वर्ड की स्थापना से काफी पहले से ही भारत ज्ञान के केंद्र में रूप में स्थापित हो चुका था।

उन्होंने कहा कि हमारे जीवन मूल्य हमेशा से जाति-धर्म के आधार पर भेदभाव करने के बजाय सहिष्णुता को बढ़ावा देने वाले रहे हैं। जब पारसी लोगों को उनके देश से निकाला गया तो उन्हें भारत में ही सबसे ज्यादा सम्मान दिया गया। यह हमारे देश की शिक्षा और संस्कृति का ही चमत्कार है।

 

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