भारत में इस जगह पर बच्चे पैदा करने के लिए अलग और इस अनोखे काम के लिए रखी जाती हैं अगल पत्नियां
हम सभी जानते हैं कि हमारे समाज में शादी करना और वंश आगे बढ़ाना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन वहीं इस देश में इसी काम के लिए कई तरीका अपनाया जाता है आज हम आपको एक ऐसे ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां के परंपरा सुनकर आपके तो होश ही उड़ जाएंगे जी हां लेकिन बता दें कि ये सच है। आज हम आपको जो बात बताने जा रहे हैं वो सुनकर आपको यही लगेगा कि ये कोई फिल्मी कहानी है लेकिन ऐसा असल जिंदगी में हो रहा है।
वैसे तो पुरे विश्व में पानी की कमी के कारण सभी लोगों को पानी की बहुत किल्ल्त झेलनी पड़ रही हैं। भारत के कई राज्यों में पानी की कमी के कारण लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इस देश में एक ऐसा भी जगह है जहां पानी भरकर लाने के लिए अलग पत्नी, संतान उत्पत्ति के लिए अलग पत्नी को रखा जाता है। जी हां आपको विश्वास नहीं हो रहा होगा पर ये सच है। ये परंपरा है मुंबई से निकट देंगनमल गांव की जो पानी की कमी से जूझ रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि आज भी मुंबई के देंगनमल गांव में पानी की इतनी किल्लत है कि यहां से करीब रोजाना 6 किलोमीटर का चक्कर लगाकर पानी मिलता है। इसी परेशानी के चलते यहां के लोग पत्नी होते हुए भी लड़के पानी की कमी को दूर करने के लिए दो तीन शादियां कर लेते हैं। इस नई पत्नी का मुख्य काम पानी भरने का ही होता है।
इस गांव में ओरतें पानी लाने का काम करती है। इस गाँव के पुरुष दूसरी शादी के लिए पहली बीवी को तलाक नहीं देते हैं वह दूसरी शादी जिस औरत से होती है वह या तो तलाकशुदा होती है या विधवा होती है। इस तरह से उन औरतों को एक सहारा तो मिलता ही है पर साथ ही साथ घर में पानी लाने के लिए एक सदस्य मिल जाता है। ध्यान देने वाली बात तो ये है कि आज के समय में वहां पानी भर कर लाने वाली ये नई पत्नियां विधवाएं हैं।
जी हां क्योंकि इन महिलाओं को यहां इन्हें जल-पत्नियों का नाम दिया गया है बताया जाता है कि जल-पत्नी को शादी के बाद वाले सभी सुख नहीं मिलता है और साथ ही इन्हें खाना, पीना और घर के अलावा पत्नी वाले सुख उसके नसीब में नहीं होते। ये वाकई में एक हैरान कर देने वाली प्रथा है लेकिन यही सच है और ये रिवाज यहां पिछले कई सालों से चलते आ रहा है। बताया तो ये भी जाता है कि ये पत्नियां अपने पति के साथ शारीरिक संबंध भी नहीं बना सकती है।
अब सवाल तो ये उठता है कि इस अजीबोगरीब बहु-विवाह व्यवस्था से किसी को क्या फायदा होता है इससे महिलाओं की जिंदगी बर्बाद हो जाती है। लेकिन उसके बावजूद इससे ना तो महिलाओं को कोई परेशानी है और ना ही गांव के पंच-पटेलों को। उनका तो कहना है कि इस व्यवस्था में तो सभी का भला है। सब बेहद ही खुशी खुशी इस प्रथा को निभाते हैं उनके िलए ये कोई अजीब बात नहीं है।