भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की जिंदगी पर मंडरा रहा यह संकट
एजेंसी/ बीमारियों से रोकथाम के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन का बड़ा उत्पादक और निर्यातक होने के बावजूद भारत में ही उनका इस्तेमाल सही तरीके से नहीं होता।
भारत के दो तिहाई बच्चों को समय और निर्धारित तरीके से वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पाती, इसके चलते बड़ी संख्या में बच्चे बीमारियों और मौत के शिकार हो जाते हैं। यह बात अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोध में सामने आई है।
शोध में पता चला है कि केवल 18 प्रतिशत भारतीय बच्चे ही डीपीटी (डिप्थीरिया, पोलियो, टिटेनस) के तीन टीके समय से ले पाते हैं। जबकि मात्र 33 प्रतिशत बच्चे ही निर्धारित दस महीने के भीतर सरकार की ओर से चल रहे चेचक के टीका अभियान से लाभान्वित हो पाते हैं।
शोध कार्य का नेतृत्व कर रहीं निजिका श्रीवास्तव के अनुसार यह भारत का व्यवस्थागत दोष है। इसी के चलते पांच साल से कम के बच्चों के मरने की भारत में भारी तादाद है। इनमें से ज्यादातर बच्चे उन बीमारियों की वजह से मरते हैं जिनका निदान समय से टीकाकरण के जरिये हो सकता था।