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भारत में रिकॉर्ड कॉरपोरेट बांड हुए जारी

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत में कारोबार करने का चलन बदल रहा हैं इसी कारण अब भारत में भारतीय कंपनियों को बैंक कर्ज के बजाय बांड के जरिए रकम जुटाना आसान लग रहा है क्योंकि फंसे कर्ज में बढ़ोतरी से बैंक उधारी में कमी आई है,वहीं निवेशक अपनी नकदी के लिए उच्च प्रतिफल वाली प्रतिभूतियां खोज रहे हैं।भारत में रिकॉर्ड कॉरपोरेट बांड हुए जारी

भारत में इस साल रिकॉर्ड संख्या में कॉरपोरेट बॉड जारी हुए,जिसकी आंशिक वजह बैंकिंग क्षेत्र की मुश्किलें हैं। भारत में विभिन्न बैंक 145 अरब डॉलर के फंसे कर्ज का सामना कर रहे हैं और कंपनी जगत को और उधारी देने में सावधानी बरत रहे हैं। बैंकों को उम्मीद है कि कंपनियां ऋण बाजार से रकम जुटाना जारी रखेंगी, बावजूद इसके कि पिछले दो महीने में बॉड का प्रतिफल 25 आधार अंक चढ़ा है क्योंकि कंपनियां अभी भी बैंक कर्ज के मुकाबले 100-150 आधार अंक नीचे पुनर्वित्त की सुविधा ले सकते हैं।

इक्रा रेटिंग्स के ग्रुप हेड (वित्तीय क्षेत्र की रेटिंग) कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा, लागत में अंतर बॉन्ड जारी करने वालों के लिए बड़ा फायदा है और म्युचुअल फंड जैसे निवेशकों के लिए भी लाभकारी है, जो वित्तीय बचत का बड़ा हिस्सा हासिल कर रहे हैं। हालांकि किसी कंपनी के बॉन्ड में निवेश से पहले निवेशकों को जांच परख करनी चाहिए। हाल में अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस ने ब्याज भुगतान में चूक की है, लेकिन फंड मैनेजरों ने कहा कि इसने निवेशकों की इच्छाशक्ति पर चोट नहीं पहुंचाई है।

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