भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी फरेरा और वेरनन 6 नवंबर तक पुलिस हिरासत में रहेंगे
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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के पुणे की एक अदालत ने आरोपी अरुण फरेरा और वेरनन गोंजाल्विस को 6 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। बता दें कि अदालत ने आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता अरूण फरेरा, वेरनन गोंजाल्विस और सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुधा भारद्वाज को पुणे पुलिस हरियाणा के फरीदाबाद स्थित उनके आवास से लेकर चली गई है।
इस मामले पर पुणे न्यायालय की सरकारी अभियोजक उज्जवला पवार ने कहा, ‘हमने अरुण फरेरा और वेरनन गोंजाल्विस की 14 दिनों की न्यायिक हिरासत की मांग की थी।’ बचाव पक्ष के वकील सिद्धार्थ पाटिल ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार उनका हाउस अरेस्ट 26 अक्तूबर को खत्म होने वाली थी और रात के 12 बजे यह समय सीमा खत्म हो गई है। ऐसे में पुलिस द्वारा माननीय न्यायालय के आदेश की अवमानना की गई है।’
उच्चतम न्यायालय ने इतिहासकार रोमिला थापर की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। उन्होंने एसआइटी को भीमा कोरेगांव मामले की जांच करने से रोकने और महाराष्ट्र पुलिस को अपनी जांच जारी रखने की अर्जी लगाते हुए याचिका दायर की थी। इसके अलावा पुणे की सत्र एवं जिला न्यायालय ने भीमा कोरेगांव के आरोपी वेरनन गोनसाल्विज और अरुण फरेरा को 6 नवंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
बता दें कि इस मामले में आज उच्चतम न्यायालय में भी अहम सुनवाई है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ रोमिला थापर द्वारा दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी। उच्चतम न्यायालय ने अपनी पिछली सुनवाई में इस मामले में एसआईटी जांच से इनकार कर दिया था और पुणे पुलिस को ही इस मामले की जांच आगे बढ़ाने को कहा था। इसके बाद रोमिला थापर ने उच्चतम न्यायालय के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।