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भीड़ मार रही युवक को, कहीं लगी आग, आप कहां जाएंगे? ये जवाब दे बने IPS
रांची (झारखंड)।2005 बैच के आईपीएस ऑफिसर कुलदीप द्विवेदी रांची के एसएसपी हैं। इलाहाबाद के रहले वाले कुलदीप ने यूपीएसपी की परीक्षा में पहले ही प्रयास में 117वां रैंक पाया। एमए पॉलिटिकल साइंस से की और गोल्ड मेडलिस्ट रहे। dainikbhaskar.com से बातचीत में कुलदीप द्विवेदी ने इंटरव्यू में पूछे गए उन सवालों को शेयर किया, जिनके जवाब देकर ये IPS बने।
IPS ने बताया, मां की एक बात ने बना दिया पुलिस ऑफिसर
– कुलदीप द्विवेदी कहते हैं, “मैं स्टूडेंट लाइफ में अपने आसपास दबंगों को कमजोर लोगों के ऊपर अत्याचार करता देखता तो मैं बेहद असहज हो जाता था।
-फिर मेरी मां कृष्णा द्विवेदी ने एक दिन बताया कि अगर इनकी मदद करना चाहते हो तो पुलिस ऑफिसर बनो।”
-हालांकि मां अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी एक सीख ने उनके जीवन की दिशा बदल डाली। पिता एजी ऑफिस, इलाहाबाद में थे, रिटायरमेंट के बाद साथ हैं।
-पुलिस सर्विस में आने के बाद अधिकतर पोस्टिंग नक्सल प्रभावित इलाकों में रही। बोकारो में एसपी रहते हुए उन्होंने कोयला और लोहा माफियाओं के खिलाफ ऐसा अभियान चलाया कि आज भी लोग चर्चा करते हैं।
-नक्सलियों के खिलाफ कई ऑपरेशंस चलाए। आम जनता के साथ दोस्ताना संबंध रहा। एक पुलिस ऑफिसर के रूप में लोगों का इतना स्नेह मिला कि उनके प्रयास से बनी एक सड़क को लोग आज कुलदीप रोड बोलते हैं।
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स्कूल जाने के लिए चलना पड़ता था पांच किलोमीटर पैदल
-कुलदीप द्विवेदी ने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया, “ उस दौरान पढ़ाई के लिए स्कूल पैदल चलकर जाना होता था। फिर आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद सिटी आया।
-सेंट जोसेफ कॉलेज से हाईस्कूल और इंटरमीडियट का एग्जाम पास किया। फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में बीए ऑनर्स किया। फिर पीजी की। अपने बैच का गोल्ड मेडलिस्ट रहा। यूजीसी की नेट परीक्षा पास की और स्कॉलरशिप भी पाया।”
क्लासमेट बनी लाइफ पार्टनर, काश्वी और तविशा हैं दो बेटियां
– कुलदीप द्विवेदी ने अपनी क्लासमेट वर्तिका से शादी की। 2007 में हुई शादी के बाद इन्हें दो बेटियां हुईं। बड़ी बेटी का नाम रखा काश्वी, जिसका अर्थ होता है रोशनी की किरण। छोटी बेटी का नाम तविशा है, जिसका मतलब चमकना होता है।
सिविल सेवा में आने वाले स्टूडेंट्स के लिए SSP ने दिए ये TIPS :
– युवा इसकी तैयारी तभी करें जब दिल से वो इस सेवा में आना चाहते हों।
– हार्ड वर्क की क्षमता विकसित करें।
– परीक्षा पास कर लेना एक पड़ाव है। आगे लंबी परीक्षा पूरे करियर के दौरान चलती रहती है।
– इसे जीना पड़ता है, ढोने वालों के लिए न ये सर्विस है और न ही इसकी तैयारी।
– इसे जीना पड़ता है, ढोने वालों के लिए न ये सर्विस है और न ही इसकी तैयारी।
– तैयारी का कोई शॉर्ट कट नहीं है। तपस्या, निरंतर मेहनत बेहद जरूरी है।
– इस दौरान कई समस्याएं आएंगी। डर लगेगा, डिप्रेशन में आ जाएंगे। लेकिन इन भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए मार्ग से भटकना नहीं है।