भूमि अधिग्रहण की नई नीति बने : नन्दकुमार साय
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पत्थलगांव: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नन्दकुमार साय का कहना है कि देश के विभिन्न राज्यों में उद्योग धंधों की स्थापना के बाद नियत समय के भीतर भू-अर्जन से प्रभावितों का मुआवजा के साथ उन्हें सभी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार को ठोस नीति निर्धारण करने की जरूरत है। श्री साय ने कल कहा कि उड़ीसा सहित कई राज्यों में वर्षों बाद भी भू अर्जन का मुआवजा प्रकरण लंबित रहना दुखद है। उन्होंने बताया कि उड़ीसा के राउरकेला स्टील प्लांट प्रबंधन ने 1954 में स्थापना के बाद आज तक भू-अर्जन का मुआवजा नहीं दिया है। इस संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण करने के बाद 173 लोगों के प्रकरण लंबित पड़े हैं। आयोग के समक्ष यह मामला सामने आने के बाद उड़ीसा राज्य के मुख्य सचिव तथा अन्य राजस्व विभाग के उच्च अधिकारियों को दस्तावेज के साथ बुलाया था।
इसमें प्रभावितों का छह दशक के बाद भी मुआवजा का भुगतान नहीं करने की जानकारी दी गई है। श्री साय ने बताया कि आदिवासियों के भू-अर्जन के प्रकरण में इतने लम्बे समय से भुगतान लंबित रहने के इस मामले में केन्द्रीय इस्पात मंत्रालय की एक टीम गठित कर जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि राउरकेला इस्पात संयंत्र में 20 हजार एकड़ भूमि अधिग्रहण करने के बाद आज तक प्रभावितों को मुआवजा और जरूरी सुविधाएं नहीं दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। श्री साय ने बताया कि ऐसे मामलों में एक नीति निर्धारण करने के लिए सरकार को सुझाव भेजा गया है। इसमें खनिज संपदा का उत्खनन करने के बाद अधिग्रहित की गई भूमि का समतलीकरण करा कर उनके भू स्वामियों को सौंपे जाने तथा भू-अर्जन के दौरान सभी प्रभावितों को शेयर धारक बनाने की बात पर भी जोर दिया गया है।