भोपाल: तापमान में उतार चढाव से बढे दिल के मरीज
ठंड के चलते फिजा में कार्बन तत्व की मौजूदगी ज्यादा
भोपाल (एजेंसी)। राजधानी में दिन-रात के तापमान में आ रहे उतार -चढाव ने दिल के मरीजों की परेशानी बढा दी है। दिन जहां गरम रहते है तो वहीं रातें सर्द होने लगी है। रात में ठंडक बढ़ने के साथ ही प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। ठंड के चलते फिजा में कार्बन तत्व ज्यादा हो गए हैं। लिहाजा दमा और दिल के मरीजों की तकलीफ बढ़ गई है। हल्की ठंड के साथ ही अस्पतालों में हाई बीपी के करीब 10 फीसदी मरीज बढ़ गए हैं। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के वैज्ञानिकों ने बताया कि ठंड बढ़ने के साथ ही वातावरण में कार्बन और धूल के कण आपस में मिलने लगते हैं। इससे प्रदूषण लंबे दिन तक बना रहता है।
इसका सबसे ज्यादा असर एलर्जी और दमा के मरीजों पर होता है। हमीदिया अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. लोकेन्द्र दवे ने बताय कि इन दिनों एलर्जी पैदा करने वाले सबसे अहम तत्व (एलर्जेन्स) पौधों के पराग कण होते हैं। इनसे एलर्जी और दमा के मरीजों को काफी तकलीफ होती है।
छाती एवं श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएन अग्रवाल ने कहा कि ठंड में कोहरे के चलते प्रदूषण साफ नहीं होता है। इस वजह से अस्थमा और एलर्जी के मरीजों को ज्यादा दिक्कत आती है। कॉकरोच में ठंड में बढ़ जाते हैं, जो एलर्जी पैदा करते हैं। हल्की ठंड के साथ ही हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट के मरीज करीब 10 फीसदी बढ़ गए हैं। हमीदिया अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आरएस मीना ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि ठंड और बढ़ने के बाद मरीज दोगुने हो सकते हैं।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुब्रतो मंडल ने बताया कि धूल और कार्बन के तत्व इकठ्ठे होकर ठंडी में कोहरे को जन्म देते हैं। इस दौरान श्वास नली सिकुड़ती है, जिससे शरीर को ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। ज्यादा आक्सीजन पहुंचाने के लिए हार्ट को ज्यादा काम करना पड़ता है। इससे बीपी बढ़ता है और हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
ठंड में एनर्जी की जरूरत बढ़ जाती है। ज्यादा एनर्जी के लिए हार्ट को ज्यादा काम करना पड़ेगा,जिससे बीपी बढ़ता है। धमनियों में खून का थक्का बनने की संभावना बढ़ जाती है। सुबह धूप निकलने के बाद ही टहलने के लिए निकलें। अचानक से ठंड में न जाएं। जिन तत्वों से एलर्जी है उनसे बचें। शरीर के किसी अंग में झुनझुनी या कमजोरी लगे तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।