‘भ्रष्ट यादव सिंह की धुन पर बसपा से सपा तक नाचते थे’
सर्वोच्च न्यायालय की यह टिप्पणी बताने के लिए काफी है कि यादव सिंह की धुन पर बसपा से लेकर सपा तक, सभी दलों के नेता नाचते थे। दोनों ही सरकारों में उसका भ्रष्टाचार खूब फला-फूला। उसकी काली कमाई की हिस्सेदारी से सियासी लोग मालामाल होते रहे। वहीं भाजपा के एक बड़े नेता की चुप्पी भी सवालों के घेरे में रही।
बसपा सरकार में यादव सिंह की तूती बोलती थी तो सपा सरकार में भी उसने मजबूत पैठ बना ली। उससे उपकृत होने वालों की फेहरिस्त में पंडितजी, भाई साहब और ‘युवा सांसद’ ही नहीं, कई और नाम भी बताए जा रहे हैं। यादव पर सरकारों की मेहरबानी का राज भी यही रहा।
अदालत से सीबीआई जांच के आदेश न हुए होते तो यादव सिंह के कारनामों पर पर्दा पड़ जाता। वे नाम भी उजागर न होते जिनकी खूब चर्चा हो चुकी है।
यूं ही नहीं शुरू हुई केंद्र सरकार की तारीफ
सपा सरकार में यादव सिंह को घोटाले के आरोप में निलंबित किया गया, लेकिन उस पर सपा सरकार की मेहरबानी की बात तभी सामने आ गई जब जांच के नाम पर खानापूर्ति की गई। घोटाले के आरोप में उसका निलंबन समाप्त कर दिया गया।
इसके एक महीने बाद ही सपा सांसद और उनकी पत्नी के नाम यादव सिंह के पूर्व पार्टनर की कंपनी के शेयर दे दिए गए। इस मामले की सीबीआई जांच और यादव सिंह के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी के बाद केंद्र सरकार पर सपा के ‘तीखे हमलों’ की जगह सरकार की तारीफ ने ले ली।
प्रमोशन के साथ ही उसे तीन साल का समय दिया गया ताकि वह इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर सके। 2002 में मायावती सरकार में यादव सिंह को एक और प्रमोशन मिला। वह चीफ मेंटेनेंस इंजीनियर बना दिया गया।
यह नोएडा अथॉरिटी के इंजीनियरिंग विभाग का सर्वोच्च पद हुआ करता था। यादव सिंह इस पद पर नौ साल तक रहा। वर्ष 2011 में मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए यादव सिंह ने नोएडा अथॉरिटी में मुख्य अभियंता का पद सृजित करा लिया।
बसपा सरकार ने यादव सिंह को इस कुर्सी पर बैठा दिया और वह अथॉरिटी के टेंडरों, प्लॉट आवंटन और मुआवजा देने के कामों को सीधे-सीधे मैनेज करने लगा।
भाजपा ने बढ़-चढ़कर दावे किए, फिर पीछे हटी
यादव सिंह के घोटालों और सत्ता से गठजोड़ को भाजपा नेता किरीट सोमैया ने सबसे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले उठाया था। उन्होंने दावा किया था कि इस मामले को लेकर वे अदालत ले जाएंगे। आरटीआई के जरिये जानकारी हासिल करके उनका सुबूतों के रूप में इस्तेमाल करेंगे। शुरुआती बयानबाजी के बाद न तो कोई कोर्ट गया और न ही इसे मुद्दा बनाया।