अद्धयात्म

मंदिरों में प्रवेश के लिए तय ड्रेसकोड के खिलाफ महिला संगठन ने कोर्ट में याचिका दायर की

madras-high-court-650_650x488_51435246728मदुरै: तमिलनाडु में मंदिरों में प्रवेश के लिए ड्रेसकोड तय करने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। इस संबंध में मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु की ‘सदर्न डिस्ट्रिक्ट्स वीमन्स फेडरेशन’ ने मंगलवार को यहां मद्रास हाई कोर्ट की पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की।

संगठन की सदस्य और याचिकाकर्ता सारिका ने कहा कि अगर आदेश लागू होता है तो महिलाओं का पूजा करने का अधिकार प्रभावित होगा और इसका उल्लंघन होगा।

यह ​पारपंरिक व्यवस्थाओं का उल्लंघन है

सारिका ने कहा, “परिधान तय करने के नाम पर प्रतिबंध पहली नजर में संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। मंदिर सार्वजनिक स्थल हैं जहां अलग अलग संस्कृति के लोग आते हैं और परिधान तय करना पारपंरिक व्यवस्थाओं का उल्लंघन है।”

गौरतलब है कि पिछले साल एक दिसंबर को मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने तमिलनाडु के मंदिरों का प्रबंधन करने वाले हिन्दू धार्मिक और परमार्थ धर्मादा (एचआर और सीई) विभाग को आदेश दिया था कि मंदिरों में प्रवेश करने के लिए पुरूषों को ‘उपरी वस्त्र के साथ धोती या पायजामा या फिर पैंट और कमीज’ जबकि महिलाओं को ‘साड़ी या हाफ साड़ी या उपरी वस्त्र के साथ चूड़ीदार’ और बच्चों को ‘पूरी तरह से शरीर को ढंकने वाला कोई भी परिधान’ पहनना चाहिए।

 

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