‘मंदिर की जगह मूर्तियों की दुकान’ निकली आम आदमी पार्टी : योगेन्द्र यादव
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार के कामकाज एवं दशा-दिशा पर करारा प्रहार करते हुए उनके पूर्व सहयोगी योगेन्द्र यादव ने कहा है कि जिन लोगों ने ‘आप’ को मंदिर समझा, वह मूर्तियों की दुकान निकली। उन्होंने कहा कि ‘आप’ और उसके नेतृत्व ने लोगों की उम्मीदों पर कुठाराघात किया है, जिससे मर्यादा एवं नैतिकता की वैकल्पिक राजनीति की बात करने वालों के लिए दोगुनी बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
‘स्वराज अभियान’ के संयोजक योगेन्द्र यादव ने समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत में कहा, ‘यह बेहद दुख का विषय है कि आम आदमी पार्टी आज भारत की एक ‘आम पार्टी’ बन कर रह गई है। कांग्रेस, बीजेपी, सपा, टीडीपी या किसी अन्य पार्टी की तरह ही चुनाव जीतना, सरकार बनाना और हर कीमत पर उसे बचाना यहीं तक वह सीमित हो गई है।’
AAP में न्यूनतम नैतिकता और मर्यादा भी नहीं बची
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘न तो विचारों का आग्रह और न ही न्यूनतम नैतिकता और मर्यादा रह गई है। विचारों का स्थान सस्ती लोकलुभावन चीजों ने लिया है और तालियां बटोरना एकमात्र उद्देश्य रह गया है। कोई समग्र विचार नहीं है। लोगों को निराशा होती है जब जिन न्यूनतम कार्यों के लिए पार्टी बनी, उन्हें तिलांजलि दी जाती है। जब पार्टी भ्रष्टाचार एवं नैतिक मर्यादाओं को ताक पर रखने वाले अपने नेताओं और मंत्रियों का बचाव करती है।’
उन्होंने इस संदर्भ में आप सरकार के पूर्व मंत्री जितेन्द्र तोमर, सोमनाथ भारती आदि का नाम लिया और कहा कि इनके कृत्य लज्जित करने वाले थे, लेकिन आप नेतृत्व और सरकार इन चीजों पर मूकदर्शक बनी रही, ऐसे में दूसरी पार्टियों से यह अलग कैसे हुई?
सिर्फ अपने पराए का अंतर जानती है AAP
योगेन्द्र ने कहा, ‘लोगों ने इसे बाकी दुकानों से अलग एक मंदिर समझा था, लेकिन जिन लोगों ने इसे मंदिर समझा, उनके लिए यह मूर्तियों की दुकान भर निकली।’ उन्होंने कहा कि ‘आप’ एक ऐसी पार्टी रह गई जो सिर्फ अपने या पराये के स्तर पर अंतर करती है और आरोपों का सामना कर रहे अपने नेताओं का अंत तक बचाव करती है।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा कहते हुए मैं यह तो नहीं कहता कि केजरीवाल सरकार अब तक की सबसे बुरी सरकार है, हो सकता है कि यह कांग्रेस या बीजेपी सरकार की तुलना में बेहतर हो… लेकिन दिक्कत इस बात की है कि जिन आम लोगों ने इससे अपने सपनों को जोड़ा था, उनके साथ कुठाराघात हुआ है।’