कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा करते हुए सभी असुरों के सिर को मंदार पर्वत के नीचे दबा दिया था। इस प्रकार यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता के अंत का दिन भी माना जाता है।
माता यशोदा ने जब कृष्ण जन्म के लिए व्रत रखा था तब सूर्य देवता उत्तरायण काल में पदार्पण कर रहे थे और उस दिन मकर संक्रांति का दिन था।माना जाता है कि उसी दिन से मकर संक्रांति के व्रत को रखने का प्रचलन भी शुरू हुआ।