मजदूरों को मोदी सरकार जल्द दे सकती है तोहफा, समान न्यूनतम वेतन नियम लागू करने की तैयारी
नई दिल्ली : श्रम मंत्रालय जल्द वेतन संहिता विधेयक को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने रख सकता है. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को चालू सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है. सरकार देश के श्रमिकों को समान अधिकार दिलाने की पहल करते हुए समान न्यूनतम वेतन का तोहफा देने की तैयारी में है. पिछले महीने 16वीं लोकसभा के भंग होने के कारण इस विधेयक को मंजूरी नहीं मिल पाई थी. अब मंत्रालय फिर से इस विधेयक को संसद में पेश करने से पहले कैबिनेट की मंजूरी दिलाना चाहता है. इस विधेयक के पास होने के बाद केंद्र सरकार को कुछ विशेष सेक्टर के लिए सभी लोगों को न्यूनतम समान वेतन देने का अधिकार मिल जाएगा. इसमें रेलवे और खनन सेक्टर शामिल हैं. अन्य प्रकार की श्रेणी के लिए वेतनमान तय करने के लिए राज्य स्वतंत्र होंगे. इस विधेयक के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर एक न्यूनतम मजदूरी तय की जाएगी. इसके अलावा केंद्र सरकार विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करेगी. इस विधेयक में प्रावधान है कि हर पांच साल बाद न्यूनतम वेतन में बदलाव किया जाएगा. इस विधेयक में न्यूनतम मजदूरी से कम वेतन देने पर नियोक्ताओं पर जुर्माने का भी प्रावधान है. यदि कोई नियोक्ता तय मजदूरी से कम का भुगतान करता है तो उस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा. यदि वह पांच साल के दौरान दोबारा ऐसा करता है तो उसे 3 माह तक का कारावास और 1 लाख रुपए तक जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है. अगर यह विधेयक पास होता है तो यह विधेयक मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936, न्यूनतम मजदूरी कानून 1948, बोनस भुगतान कानून 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 की जगह लेगा. इस विधेयक के पास होने के बाद केंद्र सरकार को कुछ विशेष सेक्टर के लिए सभी लोगों को न्यूनतम समान वेतन देने का अधिकार मिल जाएगा और हर पांच साल बाद न्यूनतम वेतन में बदलाव किया जाएगा. महिला कर्मचारियों की सुरक्षा को इस विधेयक में सबसे अधिक ध्यान में रखा गया है. विधेयक के अनुसार महिलाओं के लिए काम का समय सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच होना चाहिए. यदि शाम सात के बाद महिलाएं काम करती हैं तो नियोक्ता को उनकी सुरक्षा का पूर्ण इंतजाम करना होगा. इसके अलावा छुट्टी के दिन महिलाओं को काम पर नहीं बुलाया जा सकता है।