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मतों के ध्रुवीकरण से बिगड़ेगा कांग्रेस और भाजपा का समीकरण

panchayat-election-5663c13469535_exlमार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (माकपा), हिमाचल लोकहित पार्टी (हिलोपा) और आम आदमी पार्टी (आप) ने दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस को निशाने पर रखा है। पंचायतीराज के सभी पदों पर चुनाव लड़ने के लिए माकपा, हिलोपा और आप ने कमर कस ली है।

भाजपा और कांग्रेस को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने की रणनीति बनाई गई है। इन तीनों दलों की इस मुहिम से प्रदेश में मतों का ध्र्रुवीकरण होगा। इसका सीधा-सीधा नुकसान सत्ताधारी दल कांग्रेस और विपक्षी दल भाजपा को भुगतना पड़ेगा। हिलोपा, माकपा और आप के नेताओं ने बीते कई माह से गांवों में अभियान चलाया हुआ है।

भाजपा और कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर प्रदेश की राजनीति दो परिवारों तक सीमित रहने के आरोप लगाए जा रहे हैं। अब पंचायत चुनाव में अपने-अपने उम्मीदवारों को उतारकर माकपा, हिलोपा और आप प्रदेश में पंचायत चुनाव को दिलचस्प बनाने जा रहे हैं।

अप्रत्यक्ष तरीके से हर उम्मीदवार किसी न किसी राजनीति दल से जुड़ा ही रहेगा। इन पांच दलों के अलावा भी कई अन्य राजनीतिक दल भी चुनाव मैदान में अपने प्रतिनिधि उतारेंगे। प्रत्यक्ष तौर पर हालांकि पंचायत चुनाव में राजनीतिक दल भाग नहीं लेते हैं लेकिन अप्रत्यक्ष तरीके से पार्टियां पंचायत चुनाव में पूरी ताकत झोंक देती है।

हिमाचल में विधानसभा चुनाव लड़ेगी समता पार्टी- पालमपुर (कांगड़ा)। भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय समता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद राम कुमार शर्मा ने कहा कि पार्टी को हिमाचल में भी खड़ा किया जाएगा। प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष पद पर केशव चौहान की औपचारिक नियुक्ति कर दी गई। पंचायत चुनाव में अभी पार्टी सदस्य खड़ा करने का कोई इरादा नहीं है। विस चुनाव में पार्टी हिमाचल में अपने प्रत्याशी उतारेगी।

बिहार में समता पार्टी ने भाजपा के साथ मिल कर 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था। केंद्र सरकार में समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाह मानव संसाधन राज्यमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण को लेकर बयान नहीं आता तो वहां भाजपा गठबंधन की स्थिति कुछ और होती।

पालमपुर में पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि मोहन भागवत के आरक्षण के बयान के बाद भाजपा और उसके सहयोगी दलों से दलित और पिछड़ा वर्ग का वोट खिसक गया। हालांकि, भागवत ने आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही थी।

पंचायत चुनाव मैदान में भाग्य आजमाने को तैयार पूर्व छात्र नेता- पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में कॉलेज विश्वविद्यालय स्तर में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे छात्र नेता इस बार चुनावी समर में उतरने के लिए बेताब हैं। एचपीयू और राज्य कार्यकारिणी में वर्तमान में एसएफआई के सचिव और पूर्व में प्रदेशाध्यक्ष रहे सुरेश सरवाल इस बार जिला परिषद वार्ड बाड़ीधार जोगेंद्रनगर मंडी से मैदान में है, वहीं एचपीयू एससीए के उपाध्यक्ष रहे लोकेंद्र आनी के कुंगश वार्ड से, कांगड़ा के थुरल जिला परिषद वार्ड से राज्य अध्यक्ष विवेक राणा किस्मत आजमा रहे है।

वहीं चंबा के कलहेल वार्ड से एचपीयू इकाई सह सचिव रहे नरेंद्र कुमार भी मैदान में है। जोगेंद्रनगर के भरोला से संजय जमवाल, सोलन की सेरी पंचायत से एचपीयू इकाई के उपाध्यक्ष रहे मोहित प्रधान पद पर चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। एनएसयूआई के जिला और राज्य कार्यकारिणी के कई पदाधिकारी भी इन चुनावों में उतर रहे हैं।

इनमें जिला शिमला के रोहड़ू से प्रदेश महासचिव अरविंद धीमान खशधार जिला परिषद वार्ड से ऊना के जिला अध्यक्ष करुण, मंडी से नेशनल डेलीगेट विकास शर्मा, जिला शिमला के रोहड़ू के बलदेव की भी चुनावी मैदान में उतरने की चरचा चल रही है।

एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष रिंपल चौधरी मान रहे हैं कि प्रदेश भर में संगठन के पूर्व नेता चुनाव में जिला परिषद और पंचायत प्रधान पद को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। एबीवीपी के प्रांत मंत्री आशीष सिक्टा ने माना कि संगठन के पूर्व में रहे दर्जनों के हिसाब से छात्र नेता अपने अपने क्षेत्र में पंचायती राज चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है।

 
 

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