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मथुरा-दिल्ली के बीच चौथी रेलवे लाइन के लिए SC ने दी 452 पेड़ काटने की मंजूरी

नई दिल्ली: मथुरा से दिल्ली के बीच चौथी रेलवे लाइन बिछाने का रास्ता साफ हो गया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (11 दिसंबर) को बड़ा फैसला सुनाया है. उच्चतम न्यायालय ने नार्थ सेंट्रल रेलवे को बड़ी राहत देते हुए ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) में 452 पेड़ काटने की इजाजत दे दी है. इसके अलावा कोर्ट ने काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए नए पेड़ लगाने को भी कहा है.

बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नए लगाए गए पेड़ को पानी देने की व्यवस्था भी होनी चहिए. अगर नए पेड़ सूख जाएं तो उसके स्थान पर फिर नए पेड़ लागाए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने नालसा को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर रिपोर्ट दे और बताए की जहां नए पेड़ लगाए जाएंगे उस जगह की क्या स्थिति है.

आपको बता दें कि बीते 3 दिसंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नार्थ सेंट्रल रेलवे से सवाल किया था कि आपको पेड़ क्यों काटने हैं? क्या आप एक वैकल्पिक मार्ग नहीं खोज सकते जहां आपको कम पेड़ काटने पड़ें?

दरअसल, उत्तर मध्य रेलवे ने एक अर्जी दायर कर सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली से मथुरा के बीच चौथी रेलवे लाइन बिछाने के लिए ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (टीटीजेड) में पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों को काटने पर प्रतिबंध लगाया हुआ था. रेलवे ने अपनी दलील में कहा था कि दिल्ली मथुरा रेलमार्ग भारी भीड़भाड़ वाला है. इसलिए इस रूट पर अतिरिक्त रेलवे लाइन बिछाने की जरूरत है.

SC ने उठाया ताजमहल संरक्षण का मामला
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ताजमहल संरक्षण का मामला भी सुनवाई के दौरान उठाया. कोर्ट ने आगरा में खुले नालों और सड़क पर सीवर का पानी बहने पर भी रिपोर्ट मांगी. पर्यावरणविद एमसी मेहता और NEERI से मुआयना कर 6 हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा है. यमुना में गंदगी और उससे पैदा कीड़ों से ताजमहल को नुकसान पर भी सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई. सुप्रीम कोर्ट ने यमुना में गंदगी से ताजमहल पर होने वाले नुकसान पर भी जवाब मांगा है.

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