फीचर्डराष्ट्रीय

मदद के इंतजार में यह मासूम, मोदी से लगाई गुहार

0331_World_NarendraModi_full_600भीलवाड़ा। यहां एक मासूम मदद के इंतजार में है। बिस्तर पर लेटी यह मासूम आशा भरी नजरों से हर आने-जाने वाले को ताकती है, शायद कोई अच्छी खबर आ जाए। मासूम के पिता जो उसके इलाज में अपना मकान तक गवां चुके हैं, बेटी के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं लेकिन, उनकी हिम्मत भी अब जवाब देने लगी है। भीलवाड़ा की खुशी को अब बस खुशी की दरकार है।

छह साल पहले आई सूजन

भीलवाड़ा के मनोज कुमार त्रिपाठी की 16 वर्षीय बेटी खुशी के पैरों में 6 वर्ष पूर्व सूजन आ गई थी। उसके बाद उसे डॉक्टरों को दिखाया गया। लम्बे अर्स बाद उन्हें पता चल पाया कि उनकी बेटी की दोनों किडनियां खराब हो गई हैं।

परिवार ने पैसा पानी की तरह बहाया लेकिन, उनके घर में बेटी के ग्रुप की किडनी नहीं मिल पाई। इसके कारण उनकी बेटी अब तिल-तिल कर मरने को मजबूर हो गई है। मनोज कुमार ने कहा कि अब तक हमने खुशी के इलाज पर करीब 12 से 15 लाख रुपए खर्च कर दिए हैं। हमें सप्ताह में दो बार अहमदाबाद जाना पड़ता है उसके डायलसिस कराने के लिए। हर बार 7 से 8 हजार रुपए का खर्च होता है।

डॉक्टर बनने का है सपना

खुशी बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहती है लेकिन, फिलहाल तो बीमारी की वजह से उसकी पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है। उसने कहा कि मैं बड़े होकर ऐसे लोगों का मुफ्त इलाज करना चाहती हूं, जिनके पास पैसे नहीं हैं।

मकान बिका, कैसे हो गुजारा

खुशी के पिता ने खुशी के इलाज के लिए अपना मकान भी बचे दिया। वो एक कपड़े की दुकान पर काम करते हैं। जहां से मात्र 7 हजार रुपए ही तनख्वाह आती है। इतने पैसों में घर खर्च भी चलाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में इलाज के लिए पैसे जुटाने में खासी परेशानी हो रही है।

Related Articles

Back to top button