उत्तर प्रदेशराज्य

‘मनमोहन के खिलाफ नारे लग सकते हैं तो मोदी के खिलाफ क्यों नहीं’

testa-56ca1cbf24bd1_exlstदस्तक टाइम्स एजेंसी/सामाजिक कार्यकर्त्री तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ मौन मनमोहन केनारे लग सकते हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे क्यों नहीं लग सकते हैं? आखिर हम लोकशाही में रहते हैं, राजे-रजवाड़े में नहीं।

सीतलवाड़ ने कहा कि वही समाज स्वस्थ होता है जहां वाद-विवाद की गुंजाइश हो। महात्मा गांधी बहुत सारे लोगों के लिए इसलिए खतरा बन गए थे क्योंकि वे धार्मिक राष्ट्रवाद के खिलाफ थे।

सीतलवाड़ रविवार को लखनऊ लिटरेरी फेस्टिवल में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ पर बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि देशद्रोही वास्तव में वे हैं जो ऐसी नीतियां बनाते हैं जिनके कारण बच्चे कुपोषण के शिकार हैं और देश की आबादी का बड़ा हिस्सा गरीब है।

सीतलवाड़ ने कहा कि आज यह देखने की जरूरत है कि हमें बोलने और सोचने की आजादी किस हद तक है तथा बोलने के बाद कितनी आजादी मिलती है।
उन्होंने कहा कि देशभक्ति को सही संदर्भ में देखने की जरूरत है। कुछ लोग अपनी विचारधारा को दूसरों पर थोपकर उसे देशभक्ति का नाम देना चाह रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता और हाल ही बीएचयू के विजिटिंग प्रोफेसर के पद से हटाए गए संदीप पांडेय ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की हम जिन बातों के लिए आलोचना करते हैं, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की छवि भी बिल्कुल वैसी ही है।

बीएचयू कैंपस में रात 10 बजे के बाद लड़कियों का निकलना सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक हमेशा से सामने पाकिस्तान या मुस्लिम को दुश्मन के रूप में रखकर कार्य करता रहा है।

अगर उसके सामने से दुश्मन को हटा दें तो उनकी विचारधारा के नाम पर कुछ भी नहीं बचेगा। किसी भी क्षेत्र की जनता को भय दिखाकर साथ में नहीं रखा जा सकता है।

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