नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राहत प्रदान करते हुए उच्चतम न्यायालय ने ओडिशा में तालाबीरा 2 कोल ब्लाक को हिंडाल्को कंपनी को आवंटित करने संबंधी मामले में सिंह को बतौर आरोपी तलब करने के निचली अदालत के आदेश पर आज रोक लगा दी। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत जरूरी मंजूरी के अभाव का उल्लेख करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री को तलब किए जाने की वैधता पर सवाल उठाए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने समन पर रोक लगायी। सिब्बल ने यह भी कहा कि कोयला ब्लॉक का आवंटन बिना किसी आपराधिक नीयत के एक प्रशासनिक गतिविधि थी। समन पर रोक का शीर्ष अदालत का आदेश अन्य पर भी लागू होता है। न्यायाधीश वी गोपाला गौड़ा और सी नागप्पन की पीठ ने पूर्व प्रधानमंत्री की पैरवी करने वाले सिब्बल तथा मामले में अन्य वकीलों की जिरह को सुनने के बाद कहा कि हम सभी छह याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हैं। निचली अदालत का आदेश स्थगित रहेगा।
अदालत की कार्यवाही के दौरान 82 वर्षीय मनमोहन सिंह की बेटियां उपिन्दर सिंह और दमन सिंह वहां मौजूद थीं। पीठ ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर भी रोक लगा दी और साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (3) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। सीबीआई न्यायाधीश भरत पाराशर ने सभी को आठ अप्रैल को अदालत के समक्ष हाजिर होने के लिए तलब किया था। सिब्बल ने 35 मिनट तक चली कार्यवाही के शुरुआत में ही कहा कि मैं यह स्वीकार करूंगा कि मैं यह पता नहीं लगा पाया हूं कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने क्या गैरकानूनी काम किया है। उन्होंने कहा कि एक खदान का आवंटन गैरकानूनी कार्रवाई नहीं है। उन्होंने दलील दी कि प्रधानमंत्री की प्रशासनिक गतिविधियों को इस आधार पर त्रुटिपूर्ण नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया या सिफारिशों का अनुसरण नहीं किया।