मप्र में अब भाजपा का कांग्रेस जैसा हाल
भोपाल (एजेंसी)। सत्ता राजनीतिक दलों में अनुशासनहीनता के बीज बो देती है ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश की राजनीति में नजर आ रहा है। प्रदेश में एक दशक पहले टिकट वितरण के मौके पर हंगामा प्रदर्शन और हाथापाई का जो नजारा कांग्रेस दफ्तर में देखने को मिलता था अब यही हाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का हो गया है। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए एक माह से कम का वक्त बचा है मगर कांग्रेस के अलावा भाजपा ने अब तक उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है। यही कारण है कि कांग्रेस के साथ भाजपा में भी टिकट पाने के लिए कशमकश का दौर जारी है। कांग्रेस जहां उम्मीदवारों के लिए दिल्ली में कवायद कर रही है वहीं भाजपा राज्य में ही उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगाने की जुगत में है। भाजपा एक दशक से सत्ता में है और पार्टी कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि अगले चुनाव में जीत की हैट्रिक बनेगी। लिहाजा पार्टी का एक बड़ा वर्ग भी सत्ता में भागीदार बनने को आतुर है। यही कारण है कि पार्टी में विधानसभा चुनाव में टिकट पाने की होड़ मच गई है। पिछले एक पखवाडे़ से भाजपा कार्यालय का नजारा देखें तो एक बात तो साफ हो जाती है कि भाजपा में अपने विधायकों को लेकर खासा असंतोष है और वे उम्मीदवारों में बदलाव चाहते हैं। हर रोज अलग-अलग इलाकों के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पार्टी दफ्तर पहुंचकर अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। अब तक 2० ज्यादा विधायकों के खिलाफ पार्टी कार्यालय में प्रदर्शन हो चुके हैं। बात तो मारपीट व पुतला दहन तक भी पहुंची है। बीते रोज नरसिंहगढ़ से भाजपा विधायक मोहन शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे पूर्व पदाधिकारी नरेश शर्मा और उनके समर्थकों को खदेड़ना तक पड़ गया था। उनसे मारपीट हुई। शर्मा का आरोप है कि उनके इलाके में गुंडागर्दी चरम पर है अब तो पार्टी कार्यालय में भी वही हो रहा है। इंदौर के सांवेर में तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में भी मनपसंद उम्मीदवार के लिए प्रदर्शन हो चुका है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजेंद्र सिंह सिसौदिया लगातार समझाने की कोशिश में लगे रहते हैं। वह इसे असंतोष या विरोध मानने को तैयार नहीं हैं उनका कहना है पार्टी कार्यकर्ता अपनी बात कहने पार्टी कार्यालय आ रहे हैं। वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह चुटकी लेते हुए कहते हैं कि बीते 1० वर्षों में भाजपा के लोगों ने प्रदेश में जमकर लूट मचाई है। अब पार्टी का हर कार्यकर्ता चाहता है कि उसकी भी सत्ता में हिस्सेदारी हो और उसे भी लूटने का मौका मिले। वह आगे कहते हैं कि भाजपा कार्यकर्ता देखता है कि जिसके पास 1० वर्ष पूर्व साइकिल थी वह आज करोड़ों की दौलत का मालिक है फिर वह सोचता है कि उसका क्या कसूर है। उसी का नतीजा है भाजपा दफ्तर में चल रहा हंगामा।