जिसके बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम मोदी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार को तीस्ता के अलावा अन्य नदियों पर फोकस करना चाहिए। तीस्ता में पानी बहुत कम रह गया है। ममता ने केंद्र के समक्ष एक प्रस्ताव रखा है।
उनका कहना है कि “तीस्ता ही क्यों, अन्य नदियों से भी पानी प्राप्त किया जा सकता है। सरकार को तीस्ता के अलावा अन्य नदियों पर फोकस करना चाहिए।” वर्ष 2011 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बंगलादेश की यात्रा पर गए थे तब यह समझौता हुआ था कि दोनों देश (भारत-बांग्लादेश) तीस्ता जल का बराबरबराबर इस्तेमाल करेंगे लेकिन तब भी ममता बनर्जी ने यह तर्क देते हुए विरोध किया था कि इस से सूखे के मौसम में पश्चिम बंगाल के किसान तबाह हो जाएंगे। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक ममता से जुड़े करीबी सूत्रों ने बताया कि ममता बनर्जी अन्य नदियों से पानी प्राप्त करने के सुझाव को बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के समक्ष भी रखेंगी।
खबरों की मानें तो तीस्ता नदी के संभावित विकल्प के रूप में ममता तीन नदी प्रणाली टोरसा, संकोष और रडाक सिस्टम का अध्ययन करने का प्रस्ताव पेश कर सकती हैं। ममता का मानना है कि तीस्ता में पानी कम है इसलिए सरकार को टोरसा, संकोष और रडाक नदी प्रणाली के बारे में अध्ययन करना चाहिए।
गौरतलब है कि तीस्ता नदी भारत के सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश से होकर बहती है। यह सिक्किम और पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी विभाग की मुख्य नदी है। तीस्ता नदी को सिक्किम और उत्तरी बंगाल की जीवनरेखा कहा जाता है। आपको बता दें कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की चार दिवसीय भारत यात्रा के दौरान बहुप्रतीक्षित तीस्ता जल बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई।
लेकिन दोनों पक्षों ने इस संबंध में सकारात्मक बातचीत की बात कही है। संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत तीस्ता जल बंटवारे के लिए प्रतिबद्ध है और जल्द दी दोनों देश सुखद नतीजे पर पहुंचेंगे। मोदी ने अफसोस जताया कि तीस्ता मामले में तमाम कोशिशों के बावजूद साझा जमीन तैयार नहीं की जा सकी है। लेकिन यह काम जल्द करने के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने सामरिक, रक्षा, व्यापार और ऊर्जा के क्षेत्र में भविष्य की साझेदारी पर ठोस रोडमैप तैयार किया है।
दिसंबर से मार्च तक बांग्लादेश में पानी की कमी हो जाती है क्योंकि इस दौरान तीस्ता नदी का जलस्तर 1000 क्यूसेक से लेकर 5000 क्यूसेक तक नीचे चला जाता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बांग्लादेश के साथ इस समझौते का कड़ा विरोध करती रही हैं। सितंबर 2011 में भी जब तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के साथ तीस्ता जल समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद जगी थी तो ममता ने कड़ा विरोध जताया था। इस वजह से आखिरी वक्त में यह समझौता रद्द करना पड़ा।