धार्मिक नगरी उज्जैन महाकाल के स्थान के चलते पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां दुनिया भर के लोग आध्यात्मिक यात्रा के लिए आते हैं। इससे जुड़ी तमाम धार्मिक कहानियां और बातें लोगों में प्रचलित हैं। स्थानीय लोग इस बारे में ज्यादा परिचित रहते हैं। लेकिन क्या आप इस नगरी का महत्व भलीभांति जानते हैं? चलिए, आपको बता दें, प्राचीनकाल में इस नगर को उज्जयिनी कहा जाता था। वेद-पुराण में भी उज्जयिनी का उल्लेख मिलता है। इस धार्मिक नगरी की और क्या-क्या खास बाते हैं, आइए जानते हैं-
सबसे पहले धार्मिक नगरियों में तुलना के आधार पर इनके ‘पुण्य’ पक्ष पर नज़र डालते हैं।
प्रयाग से 10 गुना पुण्यमयी कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र से 10 गुना पुण्यमयी गया जी
गया जी से भी 10 गुना पुण्यमयी पुष्कर
पुष्कर से भी 10 गुना पुण्यमयी त्र्यंबकेश्वर
त्र्यंबकेश्वर से भी 10 गुना पुण्यमयी काशी और
काशी से भी 10 गुना पुण्यमयी नगरी अवंतिकापुरी तीर्थ (उज्जयिनी) है।
उज्जयिनी में साक्षात् महाशिव महाकाल महादेव विद्यमान हैं। ज्ञान विज्ञानं न्याय संस्कृति सभ्यता की पवित्र केंद्र भूमि उज्जयिनी की कुछ अन्य विशेषताएं ये हैं-
1) यहाँ पर भगवान सूर्य, भगवान शिव और भगवती शक्ति स्वरूपा एक साथ विराजमान हैं। भगवान चिंतामणि इच्छामन सिद्धिविनायक गणपति देव का स्थान, 52 देवी माँ के शक्तिपीठो में से दो अवंतिका देवी, मांगल्य चंडिका हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ, गढ़कालिका देवी शक्तिपीठ, दशमहाविद्द्यो की कारक देवी मंदिर स्थान है- उज्जयिनी।
2) भगवान श्री कृष्ण का अध्ययन स्थली उज्जयिनी ही है।
3) भारतीय ज्योतिष में काल की गणना का स्थान उज्जयिनी है।
4) मृत्युलोक के अधिपति विश्व ब्रह्माण्ड में एकमात्र दक्षिण मुखी मृत्युंजय महाकाल महादेव ज्योतिर्लिंग, नंदीश्वर गणेश कार्तिकेय माँ पार्वती सहित रूद्रसागर महाकाल वन में कोटितीर्थ समीप महादेव विराजमान हुए।
5) भगवान सूर्य नारायण के विलक्षण पुत्र अंग राज महादानी कर्ण के अंतिम संस्कार का स्थान उज्जयिनी है।
6) देवी रति को कामदेव की प्राप्ति का स्थान उज्जयिनी ही है।
7) यहाँ 7 सागर, अष्टविनायक, 9 नारायण, 108 हनुमान और 84 कल्पो योनियों के पापों को नष्ट करने वाले विशेष शिवलिंग 84 महादेव (जिनकी स्थापना भी भगवान शिव शंकर ने ही की) विराजमान हैं।
8) भगवन ब्रह्मा द्वारा विष्णु तथा महादेव और समस्त देवी देवताओ ऋषि मुनियो के निवास हेतु रचित स्वर्ग की जीवंत यात्रा कराने वाली विश्वभूमि का एक मात्र स्थान।
9) गंगा में स्नान करने नर्मदा के दर्शन करने से मोक्ष मिलता है जो कि क्षिप्रा के स्मरण करने मात्र से मोक्ष मिल जाता है। जो कि विष्णु के शरीर से उत्पन्न है, ऐसी क्षिप्रा में स्वयं गंगा वर्ष में एक बार अपने पाप धोने आती हैं।
10) पृथ्वी का सबसे बड़ा सिद्ध और अकीलित श्मशान व तंत्रपीठ, वीरभद्र, भैरव देव कालभैरव, विक्रांत भैरव, आतालपाताल भैरव और समस्त गणो का निवास है उज्जयिनी।
11) भगवान नरसिंह के क्रोध की शांत का स्थान।
12) भगवान राम ने अपने पिता का श्राद्ध यही किया।
13) मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान।
14) भगवान कृष्ण के द्वारा नौ ग्रहों की स्थापना का स्थान।
15) यमराज तथा चित्रगुप्त भगवन का कदाचित् एकमात्र अति प्राचीनतम मंदिर। इसके अलावा शक्तिवेध तीर्थ सिद्धवट जहां पितरो के तर्पण पिंडदान तथा उत्तरकार्य, और कालसर्प पूजा आदि कार्य हेतू विश्व का एकमात्र स्थान है उज्जयिनी।
जय श्री महाकाल