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महाघोटाला: 20 लाख लोगों का राशन डकार गई दिल्‍ली सरकार

दिल्‍ली के पूर्व मंत्री कपील मिश्र ने कैग की रिपोर्ट के बाद दिल्‍ली सरकार पर हमला बोल दिया है। कपिल का दावा है दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्‍व में यह घोटाला तीन वर्षों से अनवरत जारी था। उन्‍होंने कहा कि ऐसा हो ही नहीं सकता कि सरकार को इसकी भनक न हो। पूर्व मंत्री का दावा है कि तीन वर्षों में करीब 5400 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। महाघोटाला: 20 लाख लोगों का राशन डकार गई दिल्‍ली सरकार

कपिल का दावा है कि दिल्‍ली में चार लाख फर्जी राशन कार्ड मिला है। उनका कहना है कि चार लाख कार्ड का मतलब 20 लाख परिवार। पूर्व मंत्री का दावा है कि इसका मतलब लगभग 20 लाख लोगों का राशन दिल्‍ली सरकार डकार गई। उनका कहना है कि कैग की रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए तो प्रत्‍येक महीना 150 करोड़ रुपये का राशन गायब हो रहा था। उनका कहना है एक साल में करीब 1800 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। पूर्व मंत्री का दावा है कि तीन वर्ष का लेखाजोखा निकाला जाए तो यह करीब 5400 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ।

कपिल का दावा है कि दिल्‍ली सरकार को 31 जनवरी को फर्जी कार्ड के डाटा की सूचना मिली। जांच के बाद 28 फरवरी को चार लाख कार्ड फर्जी निकले। लेकिन 10 मार्च 2018 को दिल्‍ली सरकार के मंत्री इमरान हुसैन ने यह आदेश दिया कि फर्जी कार्ड निरस्त नहीें होंगे।

उन्‍होंने कहा तीन साल तक केजरीवाल ने कभी राशन घोटाले की बात नहीं की। लेकिन जनवरी में मशीने लगने के बाद जैसे ही फर्जी राशन कार्ड पकड़े गए केजरीवाल ने ड्रामा शुरू कर दिया। ये सारा घोटाला राशन की डिलीवरी में हुआ, केजरीवाल अब डोर स्टेप डिलीवरी की बात करने लगे। ये घोटाला इसलिए पकड़ा गया क्योंकि सरकारी गाडिय़ों का ऑडिट कैग ने किया। डोर स्टेप डिलीवरी में सारा कुछ प्राइवेट आदमी को दिया जाएगा। कैग  ऑडिट नहीं कर पाएगा।

प्वाइंट ऑफ सेल पॉस सिस्टम भी नहीं रोक सका घोटाला

दिल्ली की स्थिति पर गौर करें तो दिल्ली सरकार ने राशन वितरण में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए अपनी सभी 22 दुकानों में प्वाइंट ऑफ सेल पॉस सिस्टम लागू किया था। इसे एक जनवरी से शुरू किया गया था। शुरू में इस व्यवस्था में कुछ समस्या आई थी। मगर एक माह के अंदर ही व्यवस्था ठीक हो गई। दिल्ली सरकार इस व्यवस्था को बेहतर मान रही थी। इस व्यवस्था के तहत अब उन्हीं लोगों को राशन मिल सकेगा, जिनके फिंगर प्रिंट सिस्टम में लोड होंगे। इसे आधार कार्ड से जोड़ा गया  है।

कई बुजुर्ग लोगों के अंगुलियों के निशान नहीं मिल रहे थे। इसलिए सिस्टम में आंखों के स्कैन के आधार पर भी राशन लेने की व्यवस्था की गई है। इसमें भी कोई समस्या आती है तो लोग अपने मोबाइन नंबर पर आने वाले ओटीपी नंबर को बताकर भी राशन ले सकते हैं। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद 4 लाख राशन कार्ड फर्जी पाए गए। ये लोग तीन माह तक लगातार राशन लेने नहीें आए हैं।

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