महात्मा गांधी के खिलाफ विवादित बयान देने पर बुरे फंसे काटजू!
नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विरूद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू के खिलाफ आज राज्यसभा में निन्दा का प्रस्ताव पारित किया गया। सभापति हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल के पूर्व इस प्रस्ताव को सदन में पेश किया जिसे सदस्यों ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। न्यायमूर्ति काटजू के खिलाऊ भत्र्सना का यह प्रसताव सर्वसम्मानित से पारित किया गया। इससे पूर्व सदन के नेता अरूण जेटली ने कहा कि पूर्व न्यायाधीश ने राष्ट्रपिता के खिलाफ कहा कि पूर्व न्यायाधीश ने राष्ट्रपिता के खिलाफ टिप्पणी की है जिससे लोगों में आक्रोश है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी इस देश के सबसे बड़े नागरिक हैं और पूरा देश उन्हें सम्मान देता है। उन्होंने कहा कि यह मामला हमारी व्यवस्था में कमी को भी दर्शाता है। प्रारंभ में शून्यकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के सवानिवृत्त न्यायाधीश ने महात्मा गांधी को ब्रिटिश एजेंट कहा है। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इसे एक गंभीर मामला बताते हुए कहा कि यह किसी पार्टी का मामला नहीं है। जनता दल (यू) के शरद यादव ने कहा कि यह राष्ट्रपिता के सम्मान पर चोट है। कांग्रेस की रजनी पाटिल ने आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले पूर्व न्यायाधीश को जेल भेजने की मांग की। कांग्रेस के कर्ण सिंह ने कहा कि आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए कानून सम्मत कार्रवाई होनी चाहिए। उपसभापति पी.जे. कुर्रियन ने कहा कि वह सदस्यों की भावनाओं से सहमत है। उन्होंने कहाकि पूर्व न्यायाधीश ने जो टिप्पणी की है वह निंदनीय है।