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महापर्व छठ: इस प्राचीन सरोवर में स्नान मात्र से ही मिलती है कुष्ठ रोग से मुक्ति

दस्तक टाइम्स/एजेंसी- tempal_1447650459नवादा. देश के प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में ज्यादातर सूर्यमंदिर बिहार में अवस्थित हैं। नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड के हड़िया सूर्यमंदिर को उसी श्रृंखला की एक कड़ी माना जाता है। हड़िया को द्वापरयुगीन सूर्यमंदिर माना जाता है। मंदिर और उसके आसपास पुरातात्विक महत्व की कई चीजें हैं, जो मंदिर की गौरवशाली अतीत को बयां करती हैं।
 
यहां सूर्यनारायण की दुर्लभ मूर्ति और प्राचीन सरोवर है। श्रद्धालु इसी सरोवर में स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं। हड़िया सूर्यमंदिर कुष्ठ से मुक्ति के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि पांच रविवार तालाब में स्नान करने से असाध्य कुष्ठ रोग से भी लोगों को छुटकारा मिल जाता है।
 
वैसे तो, यहां सालों भर लोग आते-जाते रहते हैं, लेकिन छठ के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। दक्षिण बिहार के अलावा सीमावर्ती झारखंड और पश्चिम बंगाल के श्रद्धालु भी पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। बताया जाता है कि आम दिनों में गैर हिन्दू भी कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए तालाब में स्नान के लिए पहुंचते हैं। यह सामाजिक सद्भाव का भी मिसाल है।
 
क्या है धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को गोपियों ने भ्रमवश श्रीकृष्ण मान लिया था। साम्ब ने गोपियों को अपनी पहचान बताने के बजाय गोपियों की लीला में शरीक हुए थे। इसके बाद श्रीकृष्ण ने श्राप दे दिया था, जिसके बाद साम्ब कुष्ठ रोगी हो गए थे। साम्ब ने जब श्रीकृष्ण से मुक्ति के लिए प्रार्थना की, तब उन्हें बारह सूर्यमंदिरों का निर्माण कराने को कहा गया था। ऐसा माना जाता है कि उन्हीं सूर्यमंदिरों में से हड़िया भी एक है।
 
क्यों प्रसिद्ध है हड़िया
गया और नालंदा जिलों की सीमा पर हड़िया है। यह राजगीर से पांच किलोमीटर दूर है। साहित्यकार रामरतन प्रसाद सिंह रत्नाकर कहते हैं यह श्रीकृष्ण का प्रभाव वाला इलाका रहा है। मगध सम्राट जरासंध का मुख्यालय राजगीर था। हड़िया के आसपास बड़गांव समेत कई प्रमुख सूर्यमंदिर है। जरासंध की पुत्री धन्यावती भी राजगीर से हड़िया आती थीं। माना जाता है कि इन्होंने ही धनियावां पहाड़ी पर अवस्थित शिव मंदिर की स्थापना की थी।
 

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