अद्धयात्म

महाभारत में युद्ध के बाद अवैधसंबंध से जन्मा एक मात्र कौरव बचा था जीवित

महाभारत काल में कौरव-पांडव युद्ध के पहले से ही धृतराष्ट्र और पांडू के बीच सिहांसन के लिए शीतयुद्ध चलता रहता था। दोनों भाइयों की यही ख्वाहिश थी कि उनका पुत्र ही हस्तिनापुर का उतराधिकारी बने लेकिन सिहांसन पर बैठने की यह शर्त इस बात पर निर्भर करती थी कि दोनों राजाओं में से जिसका भी पुत्र पहले होगा वही हस्तिनापुर का उतराधिकारी बनेगा?
नहीं हुई कोई संतान:
दोनों भाईयों में धृतराष्ट्र बड़े थे और गांधारी से उनका विवाह भी पहले हुआ था, लेकिन विवाह के कई समय बाद तक भी  धृतराष्ट्र और गांधारी की कोई संतान नहीं हुई थी। वही पांडू का विवाह कुंती से होने वाला था जिससे यह बात भी तय थी कि विवाह के बाद उनकी संतान भी होंगी और यदि उनकी संतान धृतराष्ट्र और गांधारी की संतान से पहले हो गयी तो नियमानुसार वही हस्तिनापुर की राजगद्दी में बैठेगी।
दासी के साथ ही बना बैठे अवैध संबंध:
एक दिन विवाह होने के इतने समय बाद भी अपनी संतान न होने के दुःख और सिंहासन के हाथ से निकलने के भय से धृतराष्ट्र व्याकुल होकर अपनी एक दासी के साथ ही अवैध संबंध बन बैठे और उस दासी ने एक पुत्र को जन्म दिया। धृतराष्ट्र की वह दासी अवैध संबंध से उत्पन्न होने वाली संतान को जब जन्म देने वाली थी, उसी वक़्त गांधारी भी गर्भवती थी और संतान के रूप में उसने मांस का टुकड़े को जन्म दिया।
एक दासी पुत्र होने के बाद भी विकर्ण:
अवैध संबंध के चलते धृतराष्ट्र की दासी से जो पुत्र हुआ, वही बाद भी विकर्ण कहलाया लेकिन एक दासी पुत्र होने के बाद भी विकर्ण को बाकि कौरवों की तरह एक राजकुमार के सभी अधिकार मिले थे पर विकर्ण ही एक मात्र कौरव था, जिसने महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से युद्ध में हिस्सा लिया था और सभी कौरवो में से विकर्ण ही एक ऐसा कौरव था, जो जीवित बच पाया था। 

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