महाराष्ट्र की राजनीती में गडकरी भी हुए शामिल, फडणवीस की जा सकती है कुर्सी
मुंबई: महाराष्ट्र में अगले 24 घंटे के भीतर सरकार बनाने की समयसीमा के मद्देनजर सियासी दलों की उठापटक तेज हो गई है. सरकते वक्त के बीच महाराष्ट्र की सियासत में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की एंट्री हो गई है. वह आज नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिल रहे हैं. इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपने करीबी मंत्रियों के साथ बैठक की है. फडणवीस इस वक्त पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं. सूत्रों के मुताबिक आरएसएस भी बीजेपी पर शिवसेना को किसी तरह मनाने का दबाव डाल रहा है. सूत्रों के मुताबिक गडकरी की एंट्री से फडणवीस की कुर्सी जा सकती है.
क्या गडकरी सर्वसम्मत सीएम उम्मीदवार होंगे?
बीजेपी और शिवसेना के बीच जारी रस्साकशी को देखते हुए राजनीतिक अनुमान लगाए जा रहे हैं कि फडणवीस की जगह केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ले सकते हैं. उसके बाद शिवसेना की गठबंधन में वापसी की जल्द से जल्द घोषणा हो सकती है. फडणवीस व गडकरी दोनों नागपुर से हैं और कैमरे के सामने दोनों में सौहार्दपूर्ण संबंध होने के बावजूद दोनों के बीच मतभेद जाहिर हैं.
सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) ने स्पष्ट रूप से गडकरी को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित करने का रोडमैप तैयार किया है. इससे शिवसेना को रोटेशन के आधार पर मुख्यमंत्री पद की मांग को कमजोर करने का अवसर मिलेगा.
नितिन गडकरी के संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ अच्छे संबंध हैं. भागवत ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में लाने का कार्य किया और कई दिग्गज नेताओं के विरोध के बावजूद उन्हें भाजपा अध्यक्ष बनाया. इसके अलावा 2014 के दौरान जब गडकरी ने चुनाव में उतरने की घोषणा की तो भागवत ने हस्तक्षेप कर उन्हें वापस हटने और अपने को राष्ट्रीय राजनीति तक सीमित करने को मनाया.
शिवसेना देवेंद्र फडणवीस के कड़े रुख को लेकर नाराज है. आरएसएस के शीर्ष नेताओं ने अपने सूत्रों को शिवसेना को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से बातचीत को लेकर पाला नहीं बदलने की सलाह देने के लिए भेजा. माना जाता है कि संघ ने भी शिवसेना को आश्वासन दिया है कि सभी ‘मुद्दों’ का सौहार्दपूर्ण हल किया जाएगा.
यह खासा महत्वपूर्ण है कि शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने भागवत को पत्र लिखकर गडकरी को परिदृश्य में लाने को कहा. तिवारी ने कहा कि सिर्फ गडकरी ही गतिरोध को ‘दो घंटे’ में खत्म कर सकते हैं.
नितिन गडकरी को संघ का चहेता माना जाता है. वे नागपुर से हैं, जहां आरएसएस का मुख्यालय है. इससे पहले मंगलवार को संघ प्रमुख द्वारा फडणवीस को बुलाया गया था और उन्होंने 90 मिनट बातचीत की, लेकिन नतीजा सिफर रहा. आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी भी इस बैठक को लेकर मौन रहे. फडणवीस ने सोमवार को दिल्ली में नितिन गडकरी और अमित शाह से मुलाकात की थी.
राकांपा द्वारा किसी को भी समर्थन देने से इनकार करने के बाद आरएसएस ने भाजपा और शिवसेना के बीच बातचीत के लिए राजनीतिक प्रबंधन को सक्रिय कर दिया है. राज्य विधानसभा के कार्यकाल के इस हफ्ते समाप्त होने के मद्देनजर संघ ने सरकार बनाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है.