ज्ञान भंडार
महाराष्ट्र में डांस बार पर रोक हटी, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा राज्य सरकार का फैसला
दस्तक टाइम्स/एजेंसी: नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले में महाराष्ट्र में डांस बार पर लगी पाबंदी हटा दी। कोर्ट ने इससे जुड़े प्रदेश में लगे कानून को भी होल्ड कर दिया। राज्य सरकार ने कहा था कि अगर बार में डांस की इजाजत दी जाती है तो इससे अश्लीलता बढ़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में संबंधित अधिकारियों को भड़काऊ डांस परफॉर्मेंस रोकने का अधिकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से डांस बारों के फिर से खुलने का रास्ता साफ हो गया है।
अब तक क्या हुआ?
महाराष्ट्र में डांस बार पर पहली बार बैन 2005 में लगाया गया था। अप्रैल 2005 में इस पहले बैन के बाद करीब 1.5 लाख लोग बेरोजगार हो गए थे। इनमें से 70 हजार बार गर्ल्स थीं।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ छोटे होटलों पर रोक लगाई गई, जबकि फाइव स्टार और थ्री स्टार होटलों पर कोई पाबंदी नहीं है।
पिछले साल जून में कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने नया कानून (महाराष्ट्र पुलिस अमेंडमेंट एक्ट 2014) बनाकर यह बैन लगाया। इसके बाद रेस्टोरेंट मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती दी।
बैन का विरोध करने वालों का क्या कहना है?
मौजूदा रोक बदले की भावना के कारण है। कुछ नेताओं ने इसे इज्जत का सवाल बना दिया था।
बैन हटाने के 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने बहुत ही जल्दबाजी में कानून लागू किया।
मौजूदा कानूनों में ही पुलिस के पास अश्लीलता रोकने के लिए जरूरी अधिकार है। ऐसे में, इस नए कानून की जरूरत नहीं थी।
डांसर्स के लिए यह पेशा ही रोजी-रोटी का अकेला जरिया है। महाराष्ट्र में करीब 700 डांस बार हैं, जहां 75 हजार महिलाएं आजीविका हासिल करती थीं। सैलरी के अलावा इन महिलाओं को टिप भी मिलती थी।
डांसर्स यूनियनों का कहना था कि अगर राज्य सरकार बैन नहीं हटाएगी तो बार डांसर्स प्रॉस्टिट्यूशन की तरफ मुड़ने को मजबूर हो जाएंगी।