महाराष्ट्र से गुजरात तक फैल चुकी हिंसा को लेकर उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट
लखनऊ। महाराष्ट्र से शुरू होकर गुजरात तक पहुंच चुकी जातीय हिंसा ने सूबे की भाजपा सरकार की चिंता बढ़ा दी है। सरकार ने पुलिसिया मशीनरी को चप्पे-चप्पे पर नजर रखने और किसी भी हाल में कानून-व्यवस्था प्रभावित न होने की हिदायत दी है।
अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था आनन्द कुमार ने प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित किया है। विशेष रूप से पश्चिमी उप्र में खास सतर्कता बरतने को कहा है। पुलिस अधिकारियों को भ्रमणशील रहने के निर्देश दिये गए हैं। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त बल पुलिस लाइन में एकत्रित रखने की हिदायत है।
एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार ने प्रदेश में सभी एसपी व एसएसपी को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही जातिगत संगठनों, सोशल मीडिया पर भी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। जिला पुलिस के साथ एलआइयू और इंटेलिजेंस की टीमें भी हालात पर नजर रखे हैं।
कुछ माह पहले सहारनपुर की जातीय हिंसा का दुष्प्रभाव भुगत चुकी सरकार किसी को मौका नहीं देना चाहती है। चूंकि 2019 के चुनाव की तैयारी चल रही है इसलिए संवेदनशीलता और बढ़ गई है। गुजरात और महाराष्ट्र के दलित धु्रवीकरण की आंच कहीं उप्र को भी न प्रभावित करे, इसलिए भी खूब सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस मुख्यालय विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर नजर बनाए हुए है। एडीजी ने मेरठ और आगरा जोन के पुलिस अधीक्षकों को सख्त हिदायत दी है।
एडीजी ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों पर सतर्क नजर रखी जाए जो शांति व्यवस्था भंग कर सकते हैं। उनके विरुद्ध तत्काल प्रभाव से कार्रवाई को कहा गया है। स्थानीय अभिसूचना इकाई एवं विशेष शाखा द्वारा अवांक्षित सूचना एकत्र की जाए तथा सोशल मीडिया पर सतर्क दृष्टि रखी जाए।
यूपी में दलितों की संख्या काफी ज्यादा है और यहां बसपा जैसे दलों की दलितों में अच्छी पकड़ है। इससे पहले सहारनपुर में जातीय हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं। यूपी सरकार ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट में बताया था कि 23 मई को मायावती की रैली से लौट रहे लोगों पर ठाकुर समुदाय ने हमला किया था, जिसके बाद इस इलाके में जातीय हिंसा शुरू हो गई थी। जातीय हिंसा मामले में भीम आर्मी मुखिया चंद्रशेखर आजाद को यूपी पुलिस ने हिमाचल के डलहौजी से गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पुणे में भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह के दौरान हुई हिंसा के कारण पूरे महाराष्ट्र में तनाव फैल गया है। भीमा कोरेगांव में भड़की हिंसा के खिलाफ पूरे महाराष्ट्र में दलित संगठनों ने बंद का ऐलान किया था। महाराष्ट्र के बाद यह जातीय संघर्ष गुजरात होते हुए मध्य प्रदेश तक आ गया है। बताया जा रहा है हिंसा भड़कने की असली वजह दलित गणपति महार का समाधि स्थल है, जिसे कथित तौर पर हिंदुत्ववादी संगठन से जुड़े लोगों ने 29 दिसंबर को क्षतिग्रस्त कर दिया था।