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महाशिवरात्रि: हर संकट से मिलेगी मुक्ति, घर में साक्षात होगा महालक्ष्मी का वास

105353-lord-shivaदस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली : देवों के देव महादेव की आराधना का महापर्व शिवरात्रि इस बार सोमवार के दिन शिवयोग धनिष्ठा नक्षत्र में 7 मार्च को है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व भोले बाबा के प्रिय वार यानी सोमवार को मनाया जाएगा। सोमवार का दिन तो वैसे भी शिव का प्रिय दिन है। इस दिन दुर्लभ शिवयोग का संयोग श्रद्घालुओं के लिए विशेष फलकारी है। कई सालों के बाद बना यह योग लोगों के जीवन में शिव की कृपा प्राप्ति में सहायक रहेगा। साथ ही इस दिन पंचग्रही और चांडाल योग भी रहेगा।

महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को किया जाता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं, अर्थात शिव की तिथि चतुर्दशी है। रात्रि में व्रत किए जाने के कारण इस व्रत का नाम शिवरात्रि होना सार्थक हो जाता है। स्कन्दपुराण के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिव पूजन, जागरण और उपवास करने वाले को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है। रात्रि के समय स्वयं शिवजी भ्रमण करते हैं, अत: उपरोक्त समय में पूजन करने से मनुष्यों के पाप दूर हो जाते हैं। प्रत्येक शिवभक्त को शिवरात्रि का व्रत सदैव रखना चाहिए।

 

महाशिवरात्रि के दिन कम से कम किसी एक गाय, बैल अथवा सांड को हरा चारा, गुड़ आदि अवश्य खिलाना चाहिए, इससे आपके ऊपर आया बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है। महाशिवरात्रि के दिन रात 9 बजे के बाद किसी निर्जन स्थान पर बने हुए शिव मंदिर में जाएं तथा वहां साफ-सफाई कर पूजा-अर्चना करें, दीपक जलाएं। इससे आप पर आई बड़ी से बड़ी समस्या भी दूर हो जाएगी। महाशिवरात्रि की रात को शिवलिंग पर “ऊँ जूं सः” मंत्र का जाप करते हुए दूध मिश्रित जल चढ़ाएं तथा बील पत्र अर्पण करें। इससे स्वयं की तथा परिवार की स्वास्थ्य संबंधी सभी समस्याएं तुरंत ही भाग जाएंगी। महाशिवरात्रि पर एक छोटा सा पारद शिवलिंग घर में लाकर उसकी विधिवत स्थापना करें तथा प्रतिदिन धूप बत्ती, पुष्प आदि चढ़ा पूजा करें। इस उपाय से घर में साक्षात महालक्ष्मी का वास होता है। यदि वैवाहिक जीवन में समस्याएं हो तो किसी सुहागन स्त्री को सुहाग का सामान यथा लाल साड़ी, चूड़ियां, कुमकुम आदि उपहार में दें। गृहस्थ जीवन सुखमय हो जाएगा। शिवरात्रि पर जरूरतमंदों को कुछ न कुछ अवश्य दान दें। यदि किसी अनाथ आश्रम में भोजन दान दे सकें तो दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाएगा। महाशिवरात्रि पर किसी भी शिव मंदिर में जाकर श्रद्धापूर्वक ऊँ नमः शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। इससे कुंडली में खराब चल रहे ग्रह भी अनुकूल बन जाते हैं तथा आपके बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं। शिवपुराण के अनुसार इस दिन बिल्व पत्र के वृक्ष की पूजा-अर्चना कर शिवलिंग के निकट जल चढ़ाना चाहिए। इससे मनावांछित इच्छा पूरी होती है।

कई वर्षों बाद इस बार महाशिवरात्रि अद्भुत संयोग लेकर आ रही है। ज्योतिषाचार्यों की माने तो वर्षों बाद इस तरह का संयोग निर्मित हुआ है। इसलिए इस महाशिवरात्रि का महत्व कई गुना अधिक होगा। इस शिवरात्रि पर शिव की आराधना का भक्तों को कई गुणा अधिक फल प्राप्त होगा। भगवान रुद्र रूप में प्रकट हुए थे। इस वर्ष महाशिवरात्रि का यह अदभुत संयोग महादेव की आराधना के लिए सर्वोत्तम होगा। भगवान को जलाभिषेक व पूजा-पाठ करने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहेगी। धार्मिक कार्यों की दृष्टि से यह खास माना गया है।

महाशिवरात्रि पर इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर के पूजन में शिव पंचाक्षर ‘ओम् नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें। भगवान शंकर के पूजन से सुख-समृद्धि मिलेगी। इस बार सात मार्च को मनाए जा रहे महाशिवरात्रि पर्व पंचग्रही व शिव योग में मनाया जाएगा। इस बारे में ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि कुंभ राशि में पाच ग्रहों का यह योग महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर की पूजा करने वाले शिव भक्तों को स्थिर लक्ष्मी व अरोग्यता प्रदान करेगा।

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