महिलाओं का मजार पर जाना शरिया के खिलाफ
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महिलाओं के मजार पर जाने के लिए शरियत में साफ-साफ मना किया गया है। इसमें कहा गया है कि इनके मजार पर आने से बहुत सी खराबियां पैदा हो जाती हैं। माना गया है कि अगर महिलाएं मजार मस्जिदों में जाएंगी तो वहां भीड़ लगेगी और इन पाक जगहों की बेहुरमति होगी।
अनाप शनाप तत्वों का जमावड़ा होगा। इन्हीं तमाम खराबियों को रोकने के लिए महिलाओं का मजार मस्जिदों पर दाखिला मना किया गया है। इस मामले में महिला आलिमा ने महिला के मजार पर पाबंदी को सही ठहराया है।
महिलाओं को मजार पर नहीं जाना चाहिए। पुरुषों के जाने का है वही जाएं। महिलाएं घर बैठ कर भी मन्नतो मुराद कर सकतीं हैं। मजार के लिए घर से निकलते ही महिलाओं पर लानत हो जाती है। मुंबई में इस मुद्दे पर जो महिलाएं विरोध कर रहीं हैं वह मुनासिब नहीं है। शरियत पर अमल जरूरी है। घर में बैठ कर इबादत तिलावत करें यहीं बेहतर तरीका है।
– हिना अकरम, आलिमा, बानखाना।
फतवा: आला हजरत से किसी ने महिलाओं के मजार पर जाने के ताल्लुक से फतवा चाहा था कि मजार पर औरतों के जाने में कितना सवाब मिलता है। इस पर आला हजरत ने कहा कि यह क्या सवाल है। औरत के लिए है कि जब वह घर से मजार पर जाने के लिए निकलती है उस पर फरिश्ते लानत भेजते हैं। यह फतवा किताब अल मलफूज में दर्ज है।
– मौलाना शहाबउद्दीन रजवी, दरगाह आला हजरत।