राष्ट्रीय

महिलाओं का मजार पर जाना शरिया के खिलाफ

mazar-56c1100180e71_exlstदस्तक टाइम्स एजेंसी/ महिलाओं को मजार पर जाने से रोके जाने के बाद मुंबई में काफी उथल पुथल है। महिलाएं इसे अपने अधिकार का हनन मान कर विरोध कर रही हैं। इस विरोध को बरेली में गलत माना जा रहा है। यहां महिला आलिमा का मानना है कि पाबंदी होना चाहिए, यह शरियत का भी हुक्म है।

महिलाओं के मजार पर जाने के लिए शरियत में साफ-साफ मना किया गया है। इसमें कहा गया है कि इनके मजार पर आने से बहुत सी खराबियां पैदा हो जाती हैं। माना गया है कि अगर महिलाएं मजार मस्जिदों में जाएंगी तो वहां भीड़ लगेगी और इन पाक जगहों की बेहुरमति होगी।

अनाप शनाप तत्वों का जमावड़ा होगा। इन्हीं तमाम खराबियों को रोकने के लिए महिलाओं का मजार मस्जिदों पर दाखिला मना किया गया है। इस मामले में महिला आलिमा ने महिला के मजार पर पाबंदी को सही ठहराया है।

महिलाओं को मजार पर नहीं जाना चाहिए। पुरुषों के जाने का है वही जाएं। महिलाएं घर बैठ कर भी मन्नतो मुराद कर सकतीं हैं। मजार के लिए घर से निकलते ही महिलाओं पर लानत हो जाती है। मुंबई में इस मुद्दे पर जो महिलाएं विरोध कर रहीं हैं वह मुनासिब नहीं है। शरियत पर अमल जरूरी है। घर में बैठ कर इबादत तिलावत करें यहीं बेहतर तरीका है।
– हिना अकरम, आलिमा, बानखाना।

 
 महिलाओं के मजार पर जाने की पाबंदी है, अगर इसके खिलाफ करते हैं तो वह गुनाह होगा। शरियत के खिलाफ जाना खुदा और उसके रसूल को नाराज करना है। महिलाओं के मजार या मस्जिदों में जाने के लिए घर के बड़ों को भी रोकना चाहिए। कई बार लोग खुद ही महिलाओं को मजार पर ले कर चले जाते हैं यह भी गलत है। मुंबई में जो महिलाएं पाबंदी का विरोध कर रही हैं वह गलत है।

– बेबी कशाना, आलिमा, चाहबाई।

फतवा: आला हजरत से किसी ने महिलाओं के मजार पर जाने के ताल्लुक से फतवा चाहा था कि मजार पर औरतों के जाने में कितना सवाब मिलता है। इस पर आला हजरत ने कहा कि यह क्या सवाल है। औरत के लिए है कि जब वह घर से मजार पर जाने के लिए निकलती है उस पर फरिश्ते लानत भेजते हैं। यह फतवा किताब अल मलफूज में दर्ज है।
– मौलाना शहाबउद्दीन रजवी, दरगाह आला हजरत।

Related Articles

Back to top button