महिलाओं में कहां से आता है पुरुष का DNA
एजेंसी/लंदन। वैज्ञानिकों ने पाया है कि कई महिलाओं के खून में वाई-क्रोमोसोम जीन सीक्वेंस आता है। यह आश्चर्य पैदा करने वाली बात है क्योंकि वाई क्रोमोसोम तो सिर्फ पुरुषों में ही पाया जाता है। ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि महिलाओं में यह क्रोमोसोम कहां से आता है।
शोध में पाया गया कि जो भी महिलाएं गर्भवती होती हैं, उनके रक्त में गर्भावस्था के बाद से पूरी जिंदगी भ्रूण से मिले सेल मौजूद रहते हैं। यदि गर्भावस्था खत्म हो जाए या गर्भपात हो जाए, तो भी ये जीन्स मां में मौजूद रहते हैं। इस स्थिति को माइक्रोकेमिरिज्म कहते हैं।
इस संबंध में फ्रेड हचीसन कैंसर सेंटर में साल 2004 में इम्यूनोलॉजिस्ट्स ने एक अध्ययन किया। इसमें उन्होंने कई महिलाओं के खून का नमूना लिया। उन्होंने महिलाओं को उनकी गर्भावस्था के आधार पर चार भागों में बांटा।
ग्रुप ए में उन महिलाओं को रखा गया, जिनके सिर्फ बेटियां थीं। ग्रुप बी में उन महिलाओं को रखा गया, जिनका एक या अधिक बार अपने आप गर्भपात हुआ था। ग्रुप सी में उन महिलाओं को रखा गया, जिन्होंने जानबूझकर गर्भपात कराया और ग्रुप डी में उन महिलाओं को रखा गया, जो पहले कभी गर्भवती नहीं हुईं।
अध्ययन में पाया गया कि चारों ग्रुप की महिलाओं में पुरुष माइक्रोकेमिरिज्म मौजूद था, लेकिन ग्रुप सी की महिलाओं में सबसे अधिक था। ग्रुप ए में इसकी मात्रा 8 फीसद, बी में 22 फीसद, सी में 57 फीसद और ग्रुप डी में 10 फीसद थी।
इस अध्ययन का नतीजा था कि महिलाओं में पुरुषों के माइक्रोकेमिरिज्म की संभावित मौजूदगी का कारण गर्भावस्था, गर्भपात या शारीरिक संबंध बनाना था। यानी महिलाएं जिस साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाती हैं, उस पुरुष के मेल जीन्स और डीएनए भी उनके खून में जिंदगी भर मौजूद रहते हैं।
यानी महिलाएं जिस व्यक्ित से संबंध बनाती हैं, न सिर्फ उनकी ऊर्जा को बल्कि उनके फिजिकल डीएनए के अंश को भी सोख लेती हैं। यह जानकारी आंखें खोलने वाली है। विज्ञान ने शारीरिक संबंध बनाने का नया अर्थ पेश किया है। यह बहुत पवित्र और आध्यात्िमक कार्य है और इसे पर्याप्त सम्मान मिलना चाहिए। मगर, दुर्भाग्य से कई लोग सेक्स का दुरुपयोग कर रहे हैं और भूल गए हैं कि इसका क्या अर्थ है और यह कितना अहम है।