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महिला ने महिला पर लगाया रेप का आरोप, मामला दर्ज नहीं कर पा रही पुलिस

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के ऐतिहासिक फैसले के कुछ ही दिन बाद 25 साल की एक महिला ने दूसरी महिला के खिलाफ रेप का आरोप लगाया है। हालांकि वह केस दर्ज कराने में असफल रही। पीड़ित महिला पूर्वी भारत से काम के सिलसिले में दिल्ली आई थी।

महिला का दावा है कि 19 वर्षीय आरोपी महिला ने उसके साथ कई बार बलात्कार किया और उसके साथ मारपीट की। महिला का आरोप है कि दिल्ली की सीमापुरी थाना पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने से इनकार कर दिया और इसके बाद भी उसका शोषण जारी रहा। पीड़ित महिला ने कहा, मैंने सीमापुरी पुलिस स्टेशन से उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया। यहां तक कि उन्होंने मजिस्ट्रेट के सामने भी इस बात का जिक्र करने से इनकार किया था, लेकिन फिर भी मैंने इसका जिक्र किया। पीड़ित के लिए परेशानियों का दौर इस साल मार्च से शुरू हुआ जब उसने बिजनेस शुरू करने के लिए गुरुग्राम में अपनी नौकरी छोड़ दी। अपना बिजनेस शुरू करने के लिए उसने एक एग्रीमेंट किया और निवेश के लिए पार्टनर तलाशने लगी। पंजाब के राजपुरा में निर्धारित ट्रेनिंग सेशन के दौरान उससे निवेश के तौर पर 1.5 लाख रुपये मांगे गए थे जिनकी व्यवस्था उसके पिता ने लोन लेकर की थी। पीड़ित को पार्टनर तलाशने के लिए रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट या फिर बस स्टॉप पर लोगों से संपर्क कर अपने बिजनेस प्लान के बारे में बताने की सलाह दी गई थी। इसी प्रक्रिया के दौरान उसकी रोहित और दूसरे आरोपी राहुल से मुलाकात हुई, जिसने उसे बताया कि वह एचसीएल में काम करता है और उसके बिजनेस में निवेश करने के लिए तैयार है। पीड़ित को कथित रूप से दिलशाद कॉलोनी के एक अपार्टमेंट में ले जाया गया, जहां रोहित और राहुल नाम के एक अन्य आरोपी ने उनसे बलात्कार किया और उसे ब्लैकमेल करने के लिए अश्लील वीडियो शूट किए। पीड़ित ने बताया, सबसे पहले उन्होंने मुझे उनके साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया, फिर यह एक गिरोह का धंधा जैसा बन गया। मुझे ग्राहकों के पास भेजा जाता, आरोपी महिला हमेशा अपार्टमेंट में रहती थी। वह अक्सर मेरे करीब आने की कोशिश करती थी और जब मैंने उसे पास आने से रोक दिया तो उसने मेरे साथ मारपीट की। इस दौरान पीड़ित को केवल कुछ ही मौकों पर अपने परिवार से बात करने की इजाजत मिली। पीड़ित महिला का कहना है, राहुल वक्त-वक्त पर मुझे अपने माता-पिता से बात करने के लिए कहता था और उसने मुझे उन्हें कुछ भी न बताने की धमकी दी हुई थी। राहुल ने उनके अकाउंट में मेरी फीस के तौर पर 20 हजार रुपये डाले, उन्हें लग रहा था कि मैं बिजनेस वेंचर के लिए काम कर रही थी। हालांकि अब पीड़ित को डर है कि अब उसका परिवार कभी शांति से नहीं रह सकेगा। अगर उन्हें पता चला कि मेरे साथ क्या हुआ तो वे आत्महत्या कर लेंगे। राहुल को गिरफ्तार कर लिया गया है और जेल भेज दिया गया है जबकि रोहित फरार है। भारतीय दंड संहिता की धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच के फैसले के बाद समान लिंग के बीच संबंध अब अपराध नहीं रहा, हालांकि सहमति को लेकर बहस चल रहा है। फैसले के तुरंत बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि आईपीसी की धारा 377 अब केवल वहीं लागू होगी जिसमें अप्राकृतिक संबंध में नाबालिग शामिल हों। अधिकारी ने यह भी कहा था कि फैसले के बाद पुलिस को सहमति देने वाले व्यस्कों के बीच सहमति के सिद्धांत की स्थापना के अनचाहे क्षेत्र में जाना होगा। अधिकारी ने कहा, हाल ही में एक मामला सामने आया था जहां एक छात्र को उसके सीनियर के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया जिसकी वजह से वह एचआईवी का शिकार हो गया। फैसले के बाद सहमति को साबित करना बहुत मुश्किल होगा। वहीँ आपबीती सुनाते हुए पीड़िता ने बताया कि रोहित और राहुल ने बिस्तर पर उसे पकड़ा जबकि आरोपी महिला ने ग्राहकों के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाने के लिए उसे तैयार करने के लिए सेक्स टॉयज से उसके साथ बलात्कार किया। पीड़ित महिला ने कहा कि उस महिला को ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं किया गया था बल्कि वह अपने आनन्द के लिए ऐसा कर रही थी, उसने कहा कि वह रोहित और राहुल के साथ उसके लिए भी सजा चाहती है। हेमंत शर्मा ने कहा, धारा 376 में बलात्कार की सजा सुनाई गई है, लेकिन इसे सिर्फ एक पुरुष-महिला संबंध में ही सीमित कर दिया गया है और यहां समान लिंग का मामला छूट जाता है। वर्तमान में राहुल, रोहित और सागर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। हालांकि जहां राहुल और रोहित को बलात्कार, बंधक बनाने और तस्करी जैसे मामलों में आरोपी बनाया गया है वहीं सागर पर रेप या फिर रेप के प्रयास का आरोप नहीं है। पीड़ित ने अदालत को यह भी बताया है कि वह छह सप्ताह की गर्भवती है और अबॉर्शन कराना चाहती है, उसने मांग की है कि अबॉर्शन के बाद भ्रूण के डीएनए को आरोपियों के अपराध को साबित करने के लिए इस्तेमाल किया जाए। वहीँ सीमापुरी के एसएचओ ने कहा, पीड़ित ने हमें एक लिखित शिकायत दी थी और इसके आधार पर हमने प्राथमिकी दर्ज की थी। हमारे लिए किसी को गिरफ्तार करना सबसे आसान काम है लेकिन इसके लिए हमें सबूत चाहिए। हम अभी भी जांच प्रक्रिया में हैं और जांच के शुरुआती चरण में हैं। एसएचओ ने यह भी कहा कि क्योंकि धारा 377 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बदलाव किया गया है इसलिए अगर कोई महिला दूसरी महिला का बलात्कार करती है तो इसके लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। हालांकि पीड़ित के वकील प्रियंका डागर ने बताया कि ‘सहमति की अनुपस्थिति’ के कारण धारा 377 इस मामले में लागू होती है। “सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 में बदलाव कर दिया है लेकिन यह उन मामलों में लागू होता है जहां सहमति से समलैंगिक संबंध बने हों, जहां तक मेरी क्लाइंट का सवाल है तो नि:संदेह उसके साथ जबरदस्ती हुई, यहां केवल 377 ही लागू होगा।

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