पटना/नई दिल्ली : बिहार में सियासी घमासान के बीच 130 विधायकों को राष्ट्रपति के सामने परेड कराने के लिए दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार को पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को तगड़ा झटका दिया। कोर्ट ने नीतीश को जदयू विधायक दल का नेता चुने जाने के फैसले को अवैध ठहराते हुए उस पर रोक लगा दी है। उन्हें जीतनराम मांझी की जगह विधायक दल का नेता चुना गया था। अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी। इसलिए दिया ऐसा आदेश : हाईकोर्ट ने कहा, ‘विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री को ही होता है। ऐसे में बिना मुख्यमंत्री की अनुमति के विधायक दल की बैठक संवैधानिक तौर पर अवैध है। जब मुख्यमंत्री मौजूद है तो विधायक दल का फिर से नेता चुना जाना गलत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि नीतीश को विधायक दल के नेता की मान्यता स्पीकर कैसे दे सकता है।’
मांझी समर्थन की याचिका पर आदेश : मांझी के समर्थक और जदयू विधायक राजेश्वर राज की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एलएन रेड्डी और न्यायमूर्ति विकास जैन की खंडपीठ ने यह आदेश दिया। विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने 7 फरवरी को मांझी की जगह जदयू के नए विधायक दल के नेता के रूप में नीतीश को मान्यता दी थी।
शरद बोले-कुछ असंवैधानिक नहीं : पटना हाईकोर्ट के फैसले पर जदयू के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, ‘इसमें कुछ भी असंवैधानिक नहीं है। मैं अदालत के फैसले पर कुछ नहीं कहूंगा, पर नीतीश कुमार को पार्टी के संविधान के अनुसार ही नेता चुना गया। मैंने पार्टी के नियमों के तहत ही बैठक बुलाई और सबकी एक राय से नीतीश को नेता बनाया गया।