मां दुर्गा को ऐसे करें प्रसन्न, खुल जाएंगे किस्मत के द्वार
एजेन्सी/भारतीय संस्कृति में आराधना एवं साधना के लिए नवरात्र पर्व को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। नौ रात्रि तक चलने वाला पर्व नवरात्र है, जिसमें शक्ति के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा और आराधना की जाती है। शक्तिके नौ दिन ज्योतिष शास्त्र की गणना के आधार पर मान्य किए गए हैं, क्योंकि नवरात्र के प्रथम दिवस अर्थात प्रतिपदा से लेकर अंतिम नवें दिन तक मां दुर्गा के पूजन का विधान देवी भागवत पुराण में उल्लेखित है।
नवरात्र में भक्ति के द्वार खुल जाते हैं और साधना, आराधना, जप, तप, मंत्र, यज्ञ, पाठ, हवन, गरबा, सेवा, उपवास, त्याग और सहयोग भावना के साथ शक्ति की आराध्या देवी की उपासना की जाती है।
देवी के नौ स्वरूप
नवरात्र हिंदुओं का विशेष पर्व है। इस वर्ष 8 अप्रेल से चैत्र शुक्ल पक्ष की शुरुआत हो रही है। इस तिथि को प्रतिपदा होने से चैत्र मास के नवरात्र आरंभ होंगे। नवरात्र का धार्मिक, आध्यात्मिक, लौकिक और शारीरिक दृष्टि से बड़ा महत्त्व है। शिव और शक्ति की आराधना से जीवन सफल और सार्थक होता है।
नवरात्र के नौ दिनों में देवी भगवती के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है।
देवी के पूजन की विधि
भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र में प्रतिपदा के दिन घट स्थापना की जाती है। नवरात्र में मिट्टी के बर्तन में घर में बोए गए जौ जीवन में धन और समृद्धि का परिचायक हैं। नवरात्र के नौ दिनों तक शुद्ध घी का अखंड दीपक जलाया जाता है। नवें और अंतिम दिन देवी दुर्गा की पूजा का विधान है।
देवी पूजन में पुष्प, फल, शहद, गूगल, नए वस्त्र आदि का प्रयोग किया जाता है। नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का सिद्ध और श्रेष्ठ नवार्ण मंत्र ऊं एं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै का जप करते हुए हवन करें।
पूजन का फल
नवरात्र में विधि-विधान के साथ देवी के नौ स्वरूपों की पूजा करने का अर्थ है अपने भीतर की शक्ति को जाग्रत करना। नवरात्र में नवें दिन कन्याओं को भोजन कराने और उन्हें श्रद्धानुसार भेंट देने का विधान है। मां को प्रसन्न करने और रिझाने का नवरात्र से अधिक शुभ कोई अवसर भी नहीं है।