माघ पूर्णिमा आज : 60 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
प्रयागराज : अभेद्य सुरक्षा के बीच आज प्रयागराज कुंभ के पांचवें प्रमुख माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व पर सुबह नौ बजे तक पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी में करीब 40 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम में माघी पूर्णिमा स्नान पर्व पर सुबह नौ बजे तक करीब 60 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई। इस मौके पर लगभग एक करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने की संभावना है। मेला प्रशासन ने सोमवार और मंगलवार की देर शाम तक 1.50 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान लगाया है। सोमवार देर शाम तक करीब 65 से 70 लाख लोगों ने त्रिवेणी में स्नान किया था। यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त, भारत की आध्यात्मिक सांस्कृतिक, सामाजिक एवं वैचारिक विविधताओं को एकता के सूत्र में पिरोने वाला यह कुंभ भारतीय संस्कृति का द्योतक है। इस कुंभ में पूरे भारत की संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। अपने सिर पर गठरी और कंधे पर कमरी रखे अपनी वेशभूषा में देश और प्रदेश के ग्रामीण परिवेश के वृद्ध पुरुष, महिलाएं, युवा सभी उम्र के श्रद्धालुओं का हुजूम यहां देखने को मिल रहा है। भारतीय जनजीवन, आध्यात्मिक चिंतन और विभिन्न भारतीय संस्कृति की सरिता का संगम कुंभ में दिखाई दिया। ठंड पर आस्था भारी पड़ी जब माघी पूर्णिमा का स्नान मुहूर्त सुबह 4 बज कर 21 मिनट पर श्रद्धालुओं ने हर-हर गंगे और हर-हर महादेव का जयकारा लगाते हुए गंगा में आस्था की डुबकी लगानी शुरू कर दी। त्रिवेणी के दोनों किनारे रात में एलईडी की सफेद रोशनी से ऐसे जगमगा रही थी मानो सूर्य के प्रकाश से तिमिर का वजूद खत्म हो चला है। माघी पूर्णिमा स्नान से एक दिन पहले सोमवार से श्रद्धालुओं ने तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी में डेरा डाल दिया था। श्रद्धालुओं से रैन बसेरा भर गए, तब कुछ लोगों ने गंगा किनारे खुले अंबर के नीचे एक चादर के सहारे रात काटी तो कुछ ने किसी त्रिवेणी मार्ग पर पेड़ के नीचे अपना आश्रय बनाया और कुछ श्रद्धालुओं ने लाल मार्ग पर बने पुल के नीचे रात गुजारी।
सुबह होते ही सभी ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर माघी पूर्णिमा का पुण्य फल प्राप्त करना शुरू कर दिया। देश-विदेश के कोने-कोने से करोड़ों श्रद्धालुओं, संत-महात्माओं, गांव की झोपड़ियां से लेकर महलों तक के लोगों, विभिन्न वेषभूषा, बोलचाल और रंग-ढंग के इस राष्ट्र की भावनात्मक एकता के प्रतीक प्रयागराज के कुंभ में माघी पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं, स्नानार्थियों ने सभी 40 घाटों पर स्नान कर कुंभ की गरिमा को बढ़ाया। मौनी अमावस्या के बाद माघी पूर्णिमा पर हदें तोड़ता आस्था का समंदर संगम अपनी बाहों में भरने को बेकरार नजर आया। संगम में आस्था की डुबकी लगाकर श्रद्धालु धन्य हुए। संगम के आसमां पर चन्द्रमा ओझल है, लेकिन तारे डेरा जमाए हुए हैं, पर भगवान भास्कर अपना अधिकार छोड़ने को तैयार नहीं। अंतत: तारों ने जिद छोड़ी और संगम के क्षितिज पर मोहक लालिमा और गुनगुनी किरणों के साथ भगवान भास्कर के उदय होते ही संगम स्वर्णिम हो उठा। पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के जवान सीटी बजाकर स्नान कर चुके स्नानार्थियों से घाट खाली करने की अपील कर रहे थे, लेकिन श्रद्धालु अपनी ही धुन में मां गंगा की गोद छोड़ने को तैयार ही नहीं थे। महिलाएं स्नान के बाद घाट पर ही पूजा-पाठ और दीप-दान करने में मशगूल नजर आईं। घुड़सवार पुलिस के सिपाही सीटी बजाकर लोगों को इधर से उधर जाने की मनाही करते नजर आ रहे थे, लेकिन सेल्फी लेने वालों पर उनके आदेश का कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा था और वे तभी हटते थे, जब उनका सेल्फी शाट पूरा हो जाता था। संगम नोज कमांडो के हवाले किया गया है। पीएसी और एनडीआरएफ के बाढ़ राहत दल जल में तैनात हैं। मेला क्षेत्र में 39 कंपनी अर्द्धसैनिक बल, 12 कंपनी पीएसी के साथ 10 कंपनी एसडीआरएफ की लगाई गई है। संगम नोज पर एटीएस और एनएसजी के कमांडो तैनात किए गए हैं।