माघ मेला क्षेत्र में गंगा जलस्तर बढऩे पर बिगड़ेगी स्थिति
इलाहाबाद: संगम तट पर माघ मेला क्षेत्र में नदी का कटान जारी है। इलाहाबाद प्रशासन की मानें तो तीन से चार जनवरी के बीच नरौरा से हजारों क्यूसेक पानी छोड़ा जाना है। इससे अचानक जलस्तर बढऩे पर गंगा तट पर बस रहे शिविरों को खतरा हो सकता है। इससे मेले में स्थिति बिगड़ सकती है लेकिन इस ओर संभवत: अफसरों का ध्यान नहीं है, वे किसी तरह तय समय में तैयारी पूरी करना चाहते हैं। माघ मेले में संतों-श्रद्धालुओं का आगमन आरंभ हो चुका है, शिविर लगाने का सिलसिला जोरों पर चल रहा है, 30 दिसंबर तक सारे शिविरों के लग जाने की संभावना है। मेले का पहला स्नान पर्व पांच जनवरी को पौष पूर्णिमा है, इसके साथ ही कल्पवास का आरंभ होगा। इसके पहले नरौरा से हजारों क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा जो तीन या चार जनवरी को यहां गंगा में पहुंचेगा। वहीं त्रिवेणी मार्ग, मोरी मार्ग, गंगोली शिवाला, काली पट्टी, रामघाट पर काफी संख्या में शिविर घाट के किनारे ही लग रहे हैं। पानी छोड़े जाने से गंगा में जलस्तर बढ़त तय है। ऐसे में कटान बढऩे के साथ ही किनारे के सारे शिविर उसकी जद में आ जाएंगे, इस आसन्न खतरे से निपटने के लिए मेला प्रशासन के पास अभी कोई ठोस रणनीति नहीं है। ऐसे में यदि हालात बिगड़े तो कल्पवासियों के साथ ही अन्य श्रद्धालुओं को दिक्कतें होंगी। जिलाधिकारी भवनाथ सिंह ने बताया कि गंगा का जलस्तर बढऩे पर पानी किसी शिविर में न जाए उसको लेकर प्रशासन सतर्क है। घाट के किनारे किसी को जमीन आवंटित नहीं की गई, कोई जबरन शिविर लगाएगा तो उसे कड़ाई से हटवाया जाएगा।