माता-पिता के झगड़े का बच्चों की मानसिक स्थिति पर होता है असर
यूनिवर्सिटी ऑफ वरमॉन्ट की हालिया अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा कि गया है कि माता-पिता का आपसी टकराव बच्चों की मानसिक सेहत को प्रभावित कर सकता है. रिपोर्ट के अनुसार ऐसे बच्चे जरूरत से ज्यादा चौकन्ने हो जाते हैं. उन्हें बात-बात पर गुस्सा आती है. छोटी-छोटी बात पर बेचैन हो जाते हैं और हमेशा इस डर के साथ जीने लगते हैं कि उनके माता-पिता का कभी भी अलगाव हो सकता है.
यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजीकल साइंसेज के प्रोफेसर एलिस ने कहा कि मां-पिता के बीच छोटी सी नोकझोक भी बच्चे की मन: स्थिति को प्रभावित कर सकती है.
इस अध्ययन में 9 से 11 साल के बच्चों को शामिल किया गया. अध्ययन के दौरान पाया गया कि जिन बच्चों के घरों का माहौल अच्छा है और माता-पिता के बीच बहुत प्यार है, ऐसे बच्चों में फैसले लेने की क्षमता बहुत अच्छी है और वह सही और गलत के बीच भेद करना जानते हैं.
इसके विपरीत जिन घरों का माहौल अच्छा नहीं है और जहां माता-पिता के बीच अक्सर लड़ाई होती रहती है, ऐसे बच्चेे खुशी और गम की स्थिति मेंं भेद नहीं कर पाते. कई बार उन्हें यह पता ही नहीं होता कि उन्हें किस स्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए.
सामान्य बच्चों के मुकाबले यह बहुत ज्यादा जिद्दी होते हैं और भीड़ के बीच जाने से बचते हैं. कई बार दोस्तों के बीच यह ऐसी बात कर देते हैं जिससे माहौल खाराब हो जाता है. यही नहीं माता-पिता की लड़ाई बच्चों पर भावनात्मक असर भी डालता है. खासतौर से जब वह शादी के लायक हो जाते हैं तब भी इसका असर देखा जा सकता है. अपने माता-पिता को लड़ते देख चुके अधिकांश बच्चे शादी ही नहीं करना चाहते और जो शादी कर लेते हैंं उनका रिश्ता इससे प्रभावित होता है.