राष्ट्रीय
माथे पर सेहरा सजाकर माँ ने अर्थी को कंधा दिया, तब चली शहीद की शवयात्रा

सात फेरे लिए बिना ही वो दुनिया छोड़कर चला गया। मां ने माथे पर सेहरा सजाया, अर्थी को कंधा दिया, तब शहीद सिमरदीप सिंह की शवयात्रा निकली, देखिए तस्वीरें।

27 साल के शहीद सिमरदीप सिंह निवासी दशमेश नगर बटाला का पार्थिव शरीर बटाला पहुंचा। मां पलविंदर कौर अपने बेटे का शव देखते ही चीखने लगी, वहीं पिता की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। दादा वरियाम सिंह का रो-रो कर बुरा हाल है। करीब 11 बजे शमशानघाट में पूरे सरकारी सम्मान के साथ सिमरदीप सिंह का अंतिम संस्कार कर दिया गया। मां ने सिमरदीप सिंह के माथे पर सेहरा सजाकर और उनकी अर्थी को कंधा देकर बेटे को अंतिम विदाई दी।
शहीद की मां पलविंदर कौर ने बताया कि वह बेटे के सिर पर सेहरा सजा देखना चाहती थी। 21 नवंबर को उसके बेटे की शादी थी। शादी की सभी तैयारी पूरी हो चुकी थी, घर में रंग रोगन हो रहा था, दुल्हन के लिए कपड़े तक खरीद लिए गए थे। कुछ दिन पहले सिमरदीप का फोन आया था कि वह अपनी शादी से दस दिन पहले आ जाएगा। लेकिन सारे सपने टूट कर बिखर गए। सिमर हमेशा के लिए मुझे छोड़कर चला गया, मेरी ख्वाहिश अधूरी रह गई।

मिली जानकारी के अनुसार, शहीद सिमरदीप सिंह (27) पुत्र बलजीत सिंह निवासी दशमेश नगर जीटी रोड बटाला करीब डेढ़ साल पहले ही बीएसएफ में भर्ती हुए थे। उन्हें सेना में जाने का बचपन से ही शौक था। वहीं, बड़े होने पर उनके बचपन के ज्यादातर दोस्त बीएसएफ में ही भर्ती हुए थे। इसके चलते वे भी अपने जोश और देश के प्रति उत्साह को लेकर बीएसएफ में ही भर्ती हो गए और दुश्मनों से लड़ते हुए देश पर कुर्बान हो गए।
शहीद अपने पीछे माता पलविंदर कौर, पिता बलजीत सिंह और दो छोटे भाइयों को छोड़ गए हैं। बताया जा रहा है कि शादी से एक महीना पहले मिजोरम के ब्रह्मा बार्डर पर तैनात सिमरदीप सिंह को रविवार को गोली लगी थी। उन्हें घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। सोमवार को बीएसएफ अधिकारियों ने उनके पिता बलजीत सिंह को फोन करके शहादत की खबर दी और उसके बाद घर में कोहराम मच गया।