प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मानव तस्करी को रोकने संबंधित नए बिल को मंजूरी दे दी गई. इस विधायक का नाम मानव तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) बिल 2018 है. इस बिल को 5 मार्च से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र में पेश किया जाएगा.
इस बिल में मानव तस्करी से निपटने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं और ऐसे मामलों का निपटारा तय समय के अंदर किया जाएगा. दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा का भी प्रावधान है और गंभीर मामलों में आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है. साथ ही नए बिल में इस बात का भी इंतजाम किया गया है कि पीड़ितों का पुनर्वास साल भर के भीतर किया जा सके. इस बिल में मानव तस्करी के अपराध से निपटने के लिए जिला और राज्य से लेकर केंद्र सरकार के स्तर तक इंतजाम किए गए हैं. केंद्र सरकार के स्तर पर गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एनआईए यानी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी, एंटी ट्रैफिकिंग ब्यूरो का भी काम करेगी.
नए बिल में पीड़ितों के पुनर्वास के लिए एक अलग से फंड बनाने का भी प्रावधान है जिसका इस्तेमाल पीड़ित लोगों को समाज में फिर ठीक तरह से शामिल करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. मानव तस्करी के अपराध में दोषी पाए जाने पर नए विधेयक में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है.