मानसिक दुर्बलता नष्ट करती है शंखपुष्पी, किसी औषधि से कम नहीं
शंखपुष्पी एक पादप है। शंख के समान आकृति वाले श्वेत पुष्प होने से इसे शंखपुष्पी कहते हैं। शंखपुष्पी दूध के समान सफेद फूल है। यह सारे भारत में पथरीली भूमि में जंगली रूप में पायी जाती है। इनमें से श्वेत पुष्पों वाली शंखपुष्पी ही औषधि मानी गई है। आयुर्वेद में हर तरह के रोगोंं व विकारों का रामबाण इलाज होने के वजह से लोहा पूरी दुनिया व ऐलोपैथिक डॉक्टरों ने भी माना है। आयुर्वेद की नजर में शंखपुष्पी स्मरणशक्ति को बढ़ाकर मानसिक रोगों व मानसिक दुर्बलता को नष्ट करती है।
शंखपुष्पी को लैटिन में प्लेडेरा डेकूसेटा के नाम से जाना जाता है। अगर आप में दिमागी कमजोरी, अनिद्रा, अपस्मार रोग, सुजाक, मानसिक रोग, भ्रम जैसी शिकायत है तो इसका महीन पिसा हुआ चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह-शाम मीठे दूध के साथ या मिश्री की चाशनी जड़, फल, फूल, तना, पत्ते का रस 4 चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से कुछ महीनों में मिर्गी का रोग दूर हो जाता है। बुखार में शंखपुष्पी के पंचांग जड़, तना, फल, पत्ते फूल का चूर्ण और मिश्री को मिलाकर पीस लें। इसे 1-1 चम्मच की मात्रा में पानी से रोजाना 2-3 बार सेवन करने से तेज बुखार के कारण बिगड़ा मानसिक संतुलन ठीक हो जाता है।