बेंगलुरु : भारतीय हॉकी टीम के डिफेंडर जरमनप्रीत सिंह का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों से निपटने के लिए मानसिक फिटनेस उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि शारीरिक फिटनेस। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि खिलाड़ी टीम के चारों ओर सकारात्मक माहौल बनाने के लिए एक-दूसरे की मदद करते रहे हैं ताकि हर कोई खुश रहे। उन्होंने कहा,”मुझे लगता है कि वर्तमान परिस्थितियों से निपटने के लिए मानसिक फिटनेस उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक फिटनेस।
एक खिलाड़ी को मानसिक रूप से मजबूत होने की जरूरत है, और उसके लिए, हम एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। हम एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं, हम एक सकारात्मक वातावरण बनाने की कोशिश करते हैं। ताकि हर कोई खुश रहे। मुझे लगता है कि इस वजह से टीम में काफी अच्छी बॉन्डिंग है, जो ओलंपिक की तैयारियों में हमारी मदद कर रही है।” 24 वर्षीय डिफेंडर, जिन्होंने 2018 में राष्ट्रीय टीम के लिए पदार्पण किया, उन्हें लगता है कि वह भाग्यशाली हैं कि अपने करियर की शुरुआत से वरिष्ठ खिलाड़ियों का समर्थन मिला है।
उन्होंने कहा,”मैं बहुत भाग्यशाली हूं और सभी वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ-साथ कोचों का भी आभारी हूं क्योंकि वे मेरे अतीत (2015 में दो साल के डोपिंग प्रतिबंध) को जानते थे, उन्हें पता था कि मैं लंबे समय के बाद लौट रहा हूं। उन्होंने शुरू से ही हमेशा मेरा समर्थन किया है। उन्होंने हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन किया है, और मुझे बहुत प्रेरित किया है। इसके अलावा, यह तब भी मदद करता है जब आपके पास रूममेट के रूप में एक वरिष्ठ खिलाड़ी होता है।
कोठाजीत सिंह पाजी यहां मेरे रूममेट हैं, और हमारे बीच की बॉन्डिंग काफी अच्छी है। मैदान के बाहर हम दोनों हॉकी के बारे में बात करते हैं और इससे मुझे एक खिलाड़ी के रूप में सुधार करने में मदद मिली है।” यह पूछे जाने पर कि वह ओलंपिक की तैयारी कैसे कर रहे हैं, जरमनप्रीत ने कहा, “मेरा ध्यान केवल पूरी ऊर्जा के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ देने और प्रशिक्षण में हर दिन सुधार करने की कोशिश पर रहता है। मैंने अपने लिए एक चुनौती रखी कि मुझे लगातार अपनी गलतियों को कम करते रहना है।”