मानसिक रूप से अस्वस्थ छोटू का इलाज शुरू
अमर उजाला ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। खबर प्रकाशित होने के बाद छोटू के इलाज के लिए कई सामाजिक संस्थाओं के साथ प्रशासन भी आगे आया था।
अब उसका इलाज करवाने के लिए इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी कठुआके कार्यकारी सचिव आशीष सिंह की देखरेख में प्रशासन ने छोटू को उपचार के लिए जम्मू भेजा है।
सुबह नौ बजे कठुआ से रवाना हुई रेडक्रॉस की टीम जब जसरोटा गांव में छोटू को ले जाने के लिए पहुंची, तो उसे विदाई देने के लिए गांव के लोग भी पहुंचे।
कुछ अनजान और कुछ जाने-पहचाने चेहरों को देखकर छोटू भी खुश था। इस भीड़ में अपनों को तलाश करती आंखों ने कई बार अपनी मां को भी ढूंढने का प्रयास किया, जो अपने बेटे को दूर जाता देख घर के एक कोने में बैठी आंसू बहा रही थी।
ग्रामीणों ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से उसकी दवा भी उतने दिन ही चलती थी, जितने दिन पिता की दिहाड़ी लगती थी। छोटू के पिता सुखदेव और नाना उसे अस्पताल में जांच करवाने के लिए रेडक्रॉस टीम के साथ गए हैं।
उन्होंने खबर प्रकाशित करने के लिए अमर उजाला, प्रशासन और गैर सरकारी संस्थाओं का आभार जताया। इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के कार्यकारी सचिव आशीष सिंह ने बताया कि छोटू को जम्मू के मानसिक रोग अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टरों को दिखाया गया है। डाक्टरों ने आश्वस्त किया है कि छोटू का इलाज संभव है।
फिलहाल उन्होंने छोटू को 15 दिन की दवाइयां देकर वापस घर भेज दिया है। 15 दिन बाद डाक्टर छोटू की फिर जांच करेंगे। यदि सुधार नहीं हुआ तो उसे अस्पताल में दाखिल कर लिया जाएगा।
राजबाग की रख होशियारी पंचायत के जसरोटा गांव में रहने वाले सुखदेव का बड़ा बेटा छोटू ग्यारह साल का है। बचपन से उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है।
थोड़ा बड़ा हुआ तो कभी दूसरों तो कभी खुद को चोट पहुंचाने लगा। इसके बाद घर वालों ने उसे रस्सियों से बांधकर रखना शुरू किया। सुखदेव के मझले बेटे की आंखों में जन्म से रोशनी नहीं है।
वहीं तीसरा बेटा मानसिक रूप से विक्षिप्त है। अब जिला मजिस्ट्रेट के निर्देश पर इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी कठुआ को छोटू का उपचार करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सुखदेव के अन्य बच्चों के भी उपचार की उम्मीद बंधी है।