उत्तर प्रदेशफीचर्डराजनीति

‘मायावती को सीएम बनाना भाजपा की सबसे बड़ी भूल थी’

एजेन्सी/ mayawati_1460226818केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया का कहना है कि सपा की गुंडागर्दी और बसपा का कुशासन 2017 में भाजपा के मुख्य चुनावी मुद्दे होंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि मायावती को भाजपा के समर्थन में यूपी का सीएम बनाना पार्टी की भूल थी।

उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सांसद केशव प्रसाद मौर्य की नियुक्ति को 2017 में सरकार बनाने की दिशा में पहला कदम बताते हुए कहा कि भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग सत्ता का रास्ता साफ करेगी।

उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के लिए बहुत कुछ किया है। चुनाव में हमें उनके सुशासन और कामों का लाभ मिलेगा।

प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार रहे कठेरिया ने शनिवार को यहां वीवीआईपी गेस्ट हाउस में बातचीत में मौर्य की नियुक्ति को पार्टी नेतृत्व का सही फैसला बताया। कहा कि मौर्य हिंदुत्व के पक्षधर हैं, योग्य और नौजवान हैं तथा पिछड़े वर्ग से आते हैं। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने से निश्चित तौर पर भाजपा को लाभ होगा।

उनके खिलाफ दर्ज मामलों पर कहा कि ये केस आंदोलनों के हैं। उन्होंने कहा, 2017 में सपा साफ हो रही है। कांग्रेस का कोई वजूद नहीं है। फिर भी प्रदेश में भाजपा का मुकाबला बसपा और सपा, दोनों से होगा।  

कठेरिया ने कहा कि मायावती दलित विरोधी हैं। अपने राजनीतिक लाभ के लिए उन्होंने डॉ. अंबेडकर के सोशल मूवमेंट को खत्म कर दिया है। अब दलितों के सामाजिक उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन नहीं होता। डॉ. अंबेडकर के मिशन से जुड़े सैकड़ों लोग तथा डीएस-4 और बीएस-4 में सक्रिय रहे नेता मायावती के विकल्प की तलाश में हैं।

उन्होंने कहा कि संत परंपरा में रविदास और राजनीतिक रूप से डॉ. अंबेडकर के बाद बाबू जगजीवन राम ने दलितों के लिए सर्वाधिक काम किया।

मायावती ने अपने स्टेच्यू तो लगवा दिए लेकिन संत रविदास और जगजीवन राम कहीं नहीं दिखते। उन्होंने कहा कि मायावती को भाजपा ने मुख्यमंत्री बनवाया, यह एक भूल थी।

सीएम के फेस का मिलता है लाभ
क्या भाजपा किसी नेता को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करेगी? कठेरिया ने कहा कि यह फैसला संसदीय बोर्ड करेगा। हालांकि उनकी निजी राय है कि मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा सामने हो तो पार्टी को इसका लाभ मिलता है। 

 
कठेरिया ने कहा कि एनआईटी श्रीनगर में टी-20 क्रिकेट में भारत की हार के बाद जो कुछ हुआ, वह दो मानसिकताओं का टकराव है। जेएनयू में भी मानसिकता का टकराव सामने आया था।

कठेरिया ने कहा कि एनआईटी श्रीनगर में कश्मीरियों के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित हैं। उनमें 40 फीसदी ही भर पाती हैं। 60 फीसदी स्टूडेंट बाहरी होते हैं।

टी-20 मैच में भारत की हार के बाद बाहरी छात्रों के साथ जैसा व्यवहार हुआ, वैसा पहले भी होता रहा है। पहले बाहरी छात्र दबे रहते थे। पहली बार उन्होंने हिम्मत दिखाई तो पूरा मामला खुलकर सामने आया।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय, प्रदेश सरकार से मिलकर विवाद का हल निकालने की कोशिश कर रहा है। अब वहां स्थिति नियंत्रण में है। मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है जो सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद अपनी रिपोर्ट देगी। 

 
कठेरिया ने कहा कि शिक्षा को लेकर राज्य सरकार की सोच ठीक नहीं है। केंद्र के पास पैसे की कमी नहीं है, लेकिन राज्य सरकार लेना ही नहीं चाहती। वह न प्रस्ताव भेजती है और न ही मिले हुए धन का सदुपयोग करती है।

मॉडल स्कूलों व मॉडल कॉलेजों का काम प्रभावित होने की वजह भी यही है। यूजीसी से 80 फीसदी धन महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान समेत पांच-छह राज्य ले जाते हैं। उन्होंने कहा, मैं आगरा में अंबेडकर यूनिवर्सिटी की बदहाली दूर करने के लिए धन दिलाना चाहता था, लेकिन इसके लिए प्रस्ताव ही नहीं भेजा जा रहा। 

 
कठेरिया मानते हैं कि आईआईटी छात्रों की फीस वृद्धि का फैसला कठोर है, लेकिन यह संस्थान और छात्रों के दूरगामी हित में लिया गया है। इन संस्थानों में अनुसंधान होता है कि आम आदमी के लिए मकान, बिजली, सोलर सिस्टम आदि की दिशा क्या हो? इन अनुसंधान केंद्रों को और विकसित करना है तो आर्थिक संसाधन जरूरी हैं।

नई शिक्षा नीति का काम अंतिम चरण में
कठेरिया ने कहा कि नई शिक्षा नीति के मसौदे पर देश भर के विशेषज्ञों से राय ली गई है। शिक्षा नीति अंतिम चरण में है।

देश के प्रमुख संस्थानों व विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए  8 या 15 दिन के लिए विदेशों के विशेषज्ञ प्रोफेसरों को बुलाया जाएगा।

केंद्र सरकार ने रैंकिंग प्रणाली विकसित की है। इसमें विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के साथ ही इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी शामिल किया गया है।

Related Articles

Back to top button