मायावती व अखिलेश यादव की राह पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा मायावती की राह पर हैं। वह प्रदेश के ऐसे तीसरे मुख्यमंत्री होंगे जो उच्च सदन के सदस्य होने के बाद प्रदेश सरकार के मुखिया होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रदेश सरकार के शीर्ष पद पर बने रहने के लिए 19 सितंबर तक किसी सदन का सदस्य होना अनिवार्य है। अब इतनी जल्दी कोई उप चुनाव संभव नहीं है। कल ही विधान परिषद की चार रिक्त सीटों पर उप चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया गया है। ऐसे में अब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा का उप चुनाव लडऩे की जगह विधान परिषद से उच्च सदन के सदस्य होंगे। गोरखपुर से सांसद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उच्च सदन के सदस्य बन सकते हैं।
पिछली 19 मार्च को प्रदेश की सत्ता संभालने वाले योगी आदित्यनाथ को कार्यभार ग्रहण करने के 6 महीने के अंदर राज्य विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य बनना है। यह अवधि 19 सितंबर को समाप्त हो रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा व केशव प्रसाद मौर्य के साथ ही मंत्री स्वतंत्र देव सिंह तथा मोहसिन रजा किसी भी सदन के सदस्य नहीं है।
सीएम योगी आदित्यनाथ व केशव प्रसाद मौर्य लोकसभा के सदस्य हैं। सभी को 19 सितंबर से पहले राज्य विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना होगा। माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ विधान परिषद जाएंगे। वह ऐसा करते हैं तो वह मायावती और अखिलेश यादव के बाद तीसरे ऐसे मुख्यमंत्री होंगे, जो उच्च सदन की नुमाइंदगी करेंगे।
चार सीटों पर विधान परिषद का उपचुनाव
विधान परिषद की चार सीटों पर प्रदेश में उप चुनाव होना है। यह सीट समाजवादी पार्टी के बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, डॉ. सरोजिनी अग्रवाल व अशोक बाजपेयी तथा बहुजन समाज पार्टी के ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे के कारण खाली हुई हैं। यह चारों अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
चुनाव आयोग के इन सीटों पर उपचुनाव के लिए घोषित कार्यक्रम के अनुसार अधिसूचना 29 अगस्त को जारी होगी। नामांकन पांच सितंबर तक किए जा सकेंगे। इसके बाद नामांकन पत्रों की जांच 6 सितंबर को होगी और नाम वापसी की आखिरी तारीख आठ सितंबर होगी। मतदान 15 सितंबर को होगा। इसके तुरंत बाद मतगणना होगी। उपचुनाव की प्रक्रिया 18 सितंबर से पहले पूरी कर ली जाएगी।