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मालदीव चाहता है कि भारत वापस बुलाये अपने सैनिक


नई दिल्ली : हिंद महासागर में वर्चस्व की जंग में भारत और चीन दोनों मालदीव पर अपना प्रभाव बनाए रखना चाहते हैं. बीजिंग वहां सड़क, पुल और बड़े एयरपोर्ट बना रहा है, जबकि भारत वहां दशकों से सैन्य और नागरिक सहायता उपलब्ध कराता रहा है। भारत में मालदीव के राजदूत अहमद मोहम्मद ने कहा कि भारत द्वारा दिए गए दो हेलीकॉप्टर का उपयोग मुख्य रूप से चिकित्सा के संबंधित राहत-बचाव के लिए होता है, लेकिन चूंकि अब मालदीव ने अपने बल पर पर्याप्त संसाधन जुटा लिए हैं, इसलिए भारत के हेलीकॉप्टर की जरूरत नहीं है।उन्होंने कहा, ‘अतीत में वो बहुत उपयोगी थे, लेकिन पर्याप्त बुनियादी ढांचे, अन्य सुविधाओं और संसाधनों के विकास के साथ ही अब हम इस स्थिति में हैं कि खुद राहत-बचाव कर सकें,’ मोहम्मद ने कहा कि हालांकि भारत और मालदीव अभी भी प्रत्येक महीने मालदीव के विशेष आर्थिक जोन में संयुक्त गश्त कर रहे हैं। मालदीव भारत से 400 किलोमीटर दूर है और भारत तथा मध्य पूर्व के बीच ये सबसे बड़ा बंदरगाह है। हेलीकॉप्टर के साथ ही भारत ने वहां अपने 50 सैन्य जवानों को भी तैनात कर रखा है, इसमें पायलट और नौसेना के जवान शामिल हैं।उनके वीजा खत्म हो चुके हैं, लेकिन नई दिल्ली ने उन्हें अभी तक वापस नहीं बुलाया है।

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