अन्तर्राष्ट्रीय

मालदीव राष्ट्रपति चुनाव : भारत समर्थक विपक्षी उम्मीदवार सोलीह की जीत, अब्दुल्ला यामीन हारे

नई दिल्ली : मालदीव की जनता ने भारत से अच्छे रिश्ते रखने के हिमायती मालदिवियन डेमोक्रैटिक पार्टी (एमडीपी) के उम्मीदवार इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को विजयी बनाया है।

भारत के साथ रिश्तों को ताक पर रख कर चीन की नीतियों को बढ़ावा देने में जुटे राष्ट्रपति अब्दुल्लाह अमीन को करारा झटका लगा है। भारत ने भी रविवार को हुए चुनाव परिणाम का स्वागत किया है। भारत ने कहा है कि यह जीत मालदीव में लोकतांत्रिक मूल्यों की है और वह नई सरकार के साथ काम करने को इच्छुक है। सोलीह को कुल 92 फीसद में से 58.3 फीसद मत हासिल हुए हैं। चुनाव पर नजर रखने वाले स्वतंत्र एजेंसी ट्रांसपेरेंसी मालदीव्स के मुताबिक, सोलीह ने निर्णायक अंतर से जीत हासिल की है। वहीं, जीत के बाद अपने पहले भाषण में सोलीह ने कहा, यह खुशी, उम्मीद और इतिहास का पल है। वहीं, सोलीह की जीत की घोषणा के बाद विपक्षी समर्थक मालदिवियन डेमोक्रैटिक पार्टी (एमडीपी) का पीला झंडा लेकर सड़कों पर उतर आए और उनकी जीत का जश्न मनाया। इस बीच चुनावी नतीजे आने के बाद यामीन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, सोलीह ने कहा, मैं यामीन से कहना चाहूंगा कि वह लोगों की इच्छा का सम्मान करें और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण करें। उन्होंने साथ ही राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की भी अपील की। मालदीव चुनाव के परिणाम काफी अप्रत्याशित रहे हैं। जिस तरह से चुनाव प्रक्रिया अपनाई गई उसको लेकर भारत, अमेरिका और ब्रिटेन ने आशंका जताई थी। लग रहा था कि राष्ट्रीय यामीन सत्ता हथियाने के लिए कुछ गड़बड़ी करेंगे। लेकिन जिस तरह से अंतररष्ट्रीय पर्वेक्षकों ने निगरानी की, उसकी वजह से संभवत: ऐसा नहीं हो सका। साथ ही एक छोटे से द्वीप समूह में चीन के बढ़ते दबदबे के आसार को देख कर भी आम नागरिकों में एक तरह का रोष था। इस बीच राष्ट्रपति चुनाव में इब्राहिम मोहम्मद की जीत पर भारत ने बधाई ही है। मालदीव में चुनावी नतीजों पर विदेश मंत्रालय ने सोलीह को बधाई देते हुए कहा, मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों में इब्राहिम मोहम्मद सोलीह की जीत हुई है। जीत पर उन्हें दिल से बधाई। वहां के लिए चुनाव आयोग को जल्द से जल्द नतीजों की आधिकारिक घोषणा करनी चाहिए।मालदीव में तकरीबन 8-9 महीने से हालात काफी खराब रहे हैं।

राष्ट्रपति यामीन ने वहां सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद अपातकाल घोषित कर दिया था। इसको लेकर भारत और चीन के बीच भी परोक्ष तौर पर बहस हुई। भारत की तरफ से वहा सैन्य कार्रवाई करने की मांग हो रही थी। इस पर चीन ने चेतावनी दी थी। चीन के बढ़ते दबदबे को देख अमेरिका, ब्रिटेन समेत अन्य देशों ने भी चिंता जताई थी। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि सत्ता नए नेता को सौंपने के लिए यामीन की तरफ से कोई अड़चन नहीं खड़ी की जाएगी। विजय हासिल किए नेता सोलीह को भारत समर्थक माना जाता है। मौजूदा राष्ट्रपति यामीन ने भारत के बजाय चीन के साथ रिश्तों को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने वादा किया कि भारत के साथ विशेष व्यापार समझौता करेंगे लेकिन किया चीन के साथ। मालदीव पर चीन हाल के वर्षों में काफी ध्यान दे रहा है क्योंकि इसके जरिए वह हिन्द महासागर में भारत को घेरने की मंशा रखता है। चीन भारत के चारों तरफ अपने बंदरगाह बनाने की कोशिश कर रहा है। वैसे इस जीत के साथ अब मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति नशीद के भी स्वदेश वापसी की राह आसान होगी। उन्हें भारत समर्थक माना जाता है। गौरतलब है कि मालदीव के चुनाव परिणाम पर भारत और चीन दोनों की नजर थी। भारत के दशकों तक रहे इस देश में हाल के वर्षों में तेजी से चीन का प्रभाव बढ़ा है। इसके चलते भारतीय कंपनियों को बाहर का रास्ता देखना पड़ा है।

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