इंदौर: नन्हीं भाव्या का परिवार 10 सितंबर का दिन कभी नहीं भूल पाएगा। इस दिन उनकी बेटी हमेशा के लिए उन्हें छोड़कर भगवान के घर चली गई थी। बेटी की मौत ने परिवार को तोड़कर रख दिया। जानकारी के मुताबिक, कृष्णबाग कॉलोनी के रहने वाले सांईनाथ वाडेकर की बेटी भाव्या की टाइफाइड से मौत हो गई थी। भाव्या के पिता सांईनाथ ने बताया कि 4 अगस्त को भाव्या का जन्मदिन पूरे परिवार ने धूमधाम से मनाया था। तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि यह उसका आखिरी बर्थडे साबित होगा। बर्थडे के कुछ दिन बाद ही उसकी तबीयत बिगड़ी और उसे टाइफाइड हो गया। तबीयत में सुधार होने पर दो दिन पहले ही उसे अस्पताल से छुट्टी मिली थी। लेकिन फिर बेटी की तबीयत बिगड़ी तो वे उसे लेकर चाचा नेहरू अस्पताल पहुंचे, जहां काफी कोशिशों के बाद भी डॉक्टर उसे बचा नहीं सकें।पिता के मुताबिक, रास्ते में बेटी ने अचानक कहा कि पापा मेरी आंख बंद मत होने देना। यदि मैं नहीं बच पाऊं तो मेरी आंखें आप डोनेट कर देना, जिससे मेरी आंखें कभी बंद ना हों। भाव्या की आखिरी इच्छा सुन पिता रो पड़े थे। भाव्या ने एक बार स्कूल में नेत्रदान के बारे में सुना था, तब से वह अक्सर इसकी चर्चा करती थी। जब डॉक्टरों ने उसकी मौत की बात कही तो मैंने तुरंत उसकी आंखें दान करने का फैसला कर लिया। एमवाय के नेत्र रोग विभाग के प्रमुख डॉ. विजय भाईसारे ने बताया कि भाव्या की आंखें दो लोगों को लगाई गई हैं।
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